झारखंड में पेसा कानून लागू करने के लिए राज्य सरकार ने कानूनी और सामाजिक विशेषज्ञों से लिया परामर्श

KK Sagar
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झारखंड राज्य सरकार ने पेसा कानून (पंचायती राज विस्तार अधिनियम) को लागू करने की प्रक्रिया को लेकर गंभीर कदम उठाए हैं। इस संदर्भ में विधि विशेषज्ञों से सलाह ली जा चुकी है और अब पंचायती राज विभाग ने इस पर गहरे विचार-विमर्श के लिए विभिन्न विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है।

इन विशेषज्ञों में रोबर्ट मिंज, जो पूर्व आईएफएस अधिकारी और याचिकाकर्ता हैं, तथा वाल्टर कंडुलना, जो पेसा के विशेषज्ञ और याचिकाकर्ता हैं, शामिल हैं। इनके साथ ही प्रेमचंद मुर्मू, जो बुद्धिजीवी और याचिकाकर्ता हैं, डॉ रामचंद्र उरांव, जो कानूनविद हैं, लक्ष्मीनारायण मुंडा, जो सक्रिय वक्ता और एक्टिविस्ट हैं, कलावती खड़िया, जो पारंपरिक अगुआ हैं, और ग्लैडसन डुंगडुंग, जो सक्रिय शोधकर्ता, लेखक और प्रखर वक्ता हैं, भी आमंत्रित किए गए हैं।

इसके अलावा, डॉ. जोसेफ बाड़ा, इतिहासकार, दुर्गावती ओड़ेया, पारंपरिक अगुआ, दीपक बाड़ा, फिल्म निर्माता, मेरीक्लोडिया सोरेंग, एक्टिविस्ट, और एलिन लकड़ा, एक्टिविस्ट, भी इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होंगे।

पेसा कानून का उद्देश्य

पेसा कानून का उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में पंचायतों और स्थानीय स्वशासन की शक्तियों को बढ़ाना है, ताकि स्थानीय समुदायों की निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित हो सके और उनके पारंपरिक अधिकारों का संरक्षण किया जा सके। राज्य सरकार के इस कदम से पेसा कानून के प्रभावी लागू होने की उम्मीद है, जिससे आदिवासी समुदायों को उनके अधिकारों का बेहतर संरक्षण मिलेगा और उनके समग्र विकास में मदद मिलेगी।

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