डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया:केरल उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि एक व्यक्ति जिसने अपनी पत्नी के सोने के गहनों का गबन कर उन्हें गिरवी रख दिया और उनका व्यक्तिगत उपयोग किया, वह आपराधिक विश्वासघात का दोषी है। यह फैसला न्यायमूर्ति ए बदरुद्दीन की पीठ ने सुनाया है।
ट्रायल कोर्ट और सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती
यह मामला कासरगोड निवासी एक व्यक्ति द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने आपराधिक विश्वासघात के आरोप में ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई छह महीने की साधारण कारावास की सजा को चुनौती दी थी। इसके साथ ही सत्र न्यायालय द्वारा इस सजा को बरकरार रखने के आदेश को भी चुनौती दी गई थी।
पत्नी की शिकायत से हुआ मामले का खुलासा
इस प्रकरण का खुलासा याचिकाकर्ता की पत्नी की शिकायत के बाद हुआ। महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसकी सहमति या जानकारी के बिना उसके 50 सोने के गहने एक निजी वित्तीय संस्थान में गिरवी रख दिए। महिला ने यह भी दावा किया कि यह गहने उसे उसकी माँ ने शादी के दौरान उपहार में दिए थे, और उन्हें बैंक लॉकर में सुरक्षित रखने की शर्त रखी गई थी।
कोर्ट ने सुनाई छह महीने की सजा
ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात के आरोप में दोषी ठहराते हुए छह महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, याचिकाकर्ता ने सत्र न्यायालय में अपील की, लेकिन सत्र न्यायालय ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए सजा को बरकरार रखा।
सत्र न्यायालय का निर्णय: मुआवजे का आदेश
इस बीच, याचिकाकर्ता की पत्नी ने अपने पति को धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों से बरी किए जाने को चुनौती देते हुए एक अन्य अपील दायर की। इस पर विचार करते हुए, सत्र न्यायालय ने याचिकाकर्ता को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। साथ ही, यदि मुआवजा नहीं चुकाया गया तो छह महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा का प्रावधान भी किया गया।
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