Jharkhand में JMM की ऐसी विधानसभा सीटें जहाँ कभी नहीं टूटी जीत की परंपरा :  2024 का नजारा कुछ और

KK Sagar
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Jharkhand झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का ऐलान हो चुका है, और पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। हालांकि, 81 सीटों वाली झारखंड विधानसभा में कुछ सीटें ऐसी हैं, जिन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का अभेद्य किला माना जाता है। झारखंड के गठन के बाद से इन सीटों पर झामुमो को कोई भी पार्टी हरा नहीं पाई है। इन विधानसभा क्षेत्रों पर झामुमो का लगातार वर्चस्व रहा है, और इस बार भी यह पार्टी इन सीटों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए तैयार है।

Jharkhand झामुमो के अभेद्य गढ़ जहाँ है पांच महत्वपूर्ण सीटें

Jharkhand में बरहेट, लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, डुमरी और सरायकेला वे पांच विधानसभा सीटें हैं, जिन्हें झामुमो का गढ़ माना जाता है। इन सीटों पर अब तक हुए सभी चुनावों में झामुमो ने ही जीत दर्ज की है।

बरहेट, हेमंत सोरेन की सुरक्षित सीट

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बरहेट विधानसभा क्षेत्र झामुमो की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है। हेमंत सोरेन ने 2014 और 2019 में इस सीट से लगातार जीत दर्ज की है। इसके पहले 2009 में हेमलाल मुर्मू और 2005 में थॉमस सोरेन इस सीट से विजयी रहे थे। हेमंत सोरेन के एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ने की संभावना है, और उनके खिलाफ मुकाबला करना विपक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।

शिकारीपाड़ा, नलिन सोरेन का अभेद्य किला

शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट पर झामुमो को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा। इस सीट से झामुमो के नेता नलिन सोरेन ने 2000, 2005, 2009, 2014 और 2019 में लगातार जीत हासिल की। हालांकि, नलिन सोरेन ने हाल ही में 2024 के लोकसभा चुनाव में दुमका सीट से जीत दर्ज की, जिसके बाद उन्हें शिकारीपाड़ा से इस्तीफा देना पड़ा। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार झामुमो इस सीट पर किसे टिकट देती है।

डुमरी जगरनाथ महतो की विरासत

डुमरी विधानसभा सीट भी झामुमो का अभेद्य किला रही है। यहां से झामुमो के कद्दावर नेता जगरनाथ महतो 2005 से 2019 तक लगातार विधायक रहे। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी ने इस सीट पर जीत दर्ज की और झामुमो का दबदबा बरकरार रखा। 2024 के चुनाव में इस सीट से भी उन्हें टिकट दिए जाने की चर्चा है।

सरायकेला में चंपाई सोरेन की चुनौती

सरायकेला सीट पर भी झामुमो का लगातार वर्चस्व रहा है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन लगातार जीतते आ रहे हैं। हालांकि, इस बार चंपाई सोरेन ने भाजपा का दामन थाम लिया है, जिससे यह सीट इस बार अधिक दिलचस्प हो गई है। देखना होगा कि झामुमो इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रख पाती है या चंपाई सोरेन भाजपा के साथ कमल खिलाते हैं।

लिट्टीपाड़ा में झामुमो की मजबूत पकड़

लिट्टीपाड़ा सीट पर भी झामुमो ने हमेशा जीत हासिल की है। यह सीट संथाली और पहाड़िया जनजाति बहुल क्षेत्र है, जहां झामुमो की मजबूत पकड़ है। यहां पर साइमन मरांडी और उनके परिवार का काफी प्रभाव रहा है। 2019 में दिनेश विलियम मरांडी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी, और 2024 में भी वे झामुमो के प्रमुख उम्मीदवारों में से एक माने जा रहे हैं।

गौरतलब है कि झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों में झामुमो के लिए इन पांच सीटों पर अपनी पकड़ बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा। इन सीटों पर झामुमो की लगातार जीत इसे राज्य की राजनीति में एक शक्तिशाली दल के रूप में स्थापित करती है। अब देखना यह होगा कि 2024 के चुनावों में विपक्ष इन अभेद्य किलों को भेदने में सफल हो पाता है या नहीं।

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