डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री जीतन राम मांझी को पत्र लिखकर सूचित किया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को वर्तमान स्वरूप में राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस योजना में संशोधन की मांग की है और राज्य में कारीगरों के लिए एक नई समावेशी योजना तैयार करने की बात कही है, जिसमें जाति आधारित भेदभाव नहीं होगा।
समाज के लिए समान अवसर की योजना पर जोर
सीएम स्टालिन ने पत्र में कहा कि तमिलनाडु सरकार ने सामाजिक न्याय के आधार पर सभी कारीगरों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए एक व्यापक योजना का खाका तैयार किया है। इस नई योजना में कारीगरों को वित्तीय सहायता, कौशल विकास और उद्यमशीलता ज्ञान प्रदान किया जाएगा।
वर्तमान योजना पर जताई आपत्ति
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री और एमएसएमई मंत्रालय को लिखे पत्र में यह चिंता व्यक्त की कि पीएम विश्वकर्मा योजना जाति आधारित व्यवसाय प्रणाली को मजबूत करती है। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध बताते हुए संशोधन की मांग की। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस योजना के अध्ययन के लिए एक समिति का गठन किया, जिसने कई सिफारिशें की हैं।
समिति की सिफारिशें
समिति ने सुझाव दिया है कि इस योजना के तहत आवेदकों के पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े होने की अनिवार्यता को हटाया जाए। इसके अलावा, न्यूनतम आयु सीमा 35 वर्ष निर्धारित की गई है, ताकि केवल वे ही लोग लाभ उठा सकें, जिन्होंने पारिवारिक व्यवसाय जारी रखने का निर्णय लिया हो।
पीएम विश्वकर्मा योजना: एक नजर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर, 2023 को पीएम विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया था। यह योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को पहचान और कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और उद्यमशीलता ज्ञान प्रदान करती है। इसके तहत 15,000 रुपये तक टूलकिट प्रोत्साहन और 3 लाख रुपये तक की ऋण सहायता दी जाती है।
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