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West Bengal में बहूचर्चित Teacher’s Recruitment Scam शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में ममता सरकार को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने पूरे पैनल को अमान्य करने का आदेश दिया है।
Teacher’s Recruitment Scam – कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में रद्द की शिक्षकों की 23 हजार नौकरियां
दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट ने West Bengal पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग पैनल द्वारा की गई Teacher’s Recruitment Scam स्कूल शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया है जिसके बाद करीब 23 हजार नौकरियों को रद्द कर दिया है। यानी 23000 शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा है।
अनियमितताएं मिलने पर कक्षा 9-12 और समूह सी और डी तक की सभी नियुक्तिया रद्द
कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2016 का पूरा जॉब पैनल रद्द कर दिया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कक्षा 9वीं से 12वीं और समूह सी और डी तक की उन सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया जिनमें अनियमितताएं पाई गईं।
5 से 15 लाख रुपये घूस लेने का आरोप
आपको बता दें कि भर्ती में पैनल पर करीब 5 से 15 लाख रुपये की घूस लेने आरोप हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस देवांशु बसाक की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
चार हफ्ते के अंदर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पूरा वेतन लौटाने का आदेश
कोर्ट ने लोगों को चार हफ्ते के अंदर 12 प्रतिशत ब्याज के साथ पूरा वेतन लौटाने का आदेश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने जिला अधिकारियों को पेैसे वसूलने के लिए 6 सप्ताह का समय दिया है। हाई कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग को दोबारा से नई नियुक्ति शुरू करने का निर्देश भी दिया है।
Teacher’s Recruitment Scam में TMC के कई नेता और अधिकारी की हो चुकी है गिरफ़्तारी
इस मामले में टीएमसी के कई विधायकों और नेताओं समेत शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं तत्कालीन शिक्षा मंत्री रहे पार्थ चटर्जी को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि जांच में पार्थ चटर्जी के सहयोगियों के पास से करोड़ों रुपए बरामद किए गए थे.
बिना मेरिट लिस्ट के बहाली करने का आरोप
गौरतलब है कि Teacher’s Recruitment Scam साल 2014 से जुड़ा मामला है। उस समय पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। जिसकी प्रक्रिया साल 2016 में शुरू की गई थी। बहाली के साथ ही इसपर सवाल उठने लगे थे। और मामला कोर्ट तक जा पहुंचा जहाँ शिकायत की गई थी कि वैसे उम्मीदवार जिनके कम नंबर थे उन्हें मेरिट लिस्ट में सबसे ऊपर रखा गया जबकि जिनके नाम मेरिट लिस्ट में ही नहीं थे उन्हें भी नौकरी दे दिया गया।