ग्रामीणों ने निभाई आखिरी जिम्मेदारी
हजारीबाग: आजादी के 75 साल बाद भी झारखंड के कई गांवों में विकास की बुनियादी रोशनी नहीं पहुंची है। ऐसा ही एक मार्मिक दृश्य हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड अंतर्गत गोविंदपुर कला पंचायत के चीतरामो टोला में देखने को मिला, जहां सड़क नहीं होने के कारण एक प्रवासी मजदूर का शव गांव तक नहीं पहुंच पाया।
दरअसल, कर्नाटक में काम करने वाले प्रवासी मजदूर शनिचर मरांडी की मौत हो गई थी। कंपनी ने उनका शव हजारीबाग स्थित पैतृक गांव भिजवाया। शव तो जिले तक पहुंच गया, लेकिन चीतरामो टोला तक पक्की सड़क न होने के कारण एंबुलेंस ने शव को करीब 5 किलोमीटर पहले ही उतार दिया। इसके बाद परिजन और ग्रामीणों ने शव को खटिया में लाद कर जंगल और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होकर पैदल गांव लाया। इसी तरह भारी संघर्ष के बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि गोविंदपुर कला पंचायत के अंतर्गत गिधिनिया, परसातरी और मोसरीतरी जैसे गांव अब भी सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बरसात के समय हालत और भी बदतर हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि इस इलाके में लगभग 600 से अधिक आदिवासी रहते हैं, जिनकी आवाज़ प्रशासन तक नहीं पहुंचती।
विष्णुगढ़ के उप-प्रमुख सरयू साव ने बताया कि इन इलाकों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उन्होंने मांग की कि इस क्षेत्र को जल्द से जल्द पक्की सड़क से जोड़ा जाए ताकि भविष्य में ऐसी दुःखद स्थिति दोबारा न बने।
यह घटना सरकारी दावों की हकीकत को उजागर करती है और यह सवाल उठाती है कि क्या विकास सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है?