डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: हीरापुर स्थित धनबाद सिटी अस्पताल का संचालक मनोज कुमार अपनी पत्नी रूबी कुमारी के साथ गायब हो गया है। उसके खिलाफ जांच टीम अभी रिपोर्ट ही बना रही है।
आवास का ताला तोड़ सारा सामान लेकर गायब हुआ संचालक
इसी बीच रविवार को मनोज कुमार अस्पताल परिसर स्थित आवास का ताला तोड़ा और सामान लेकर गायब हो गया। मकान मालिक रामध्वजा पांडेय ने धनबाद थाने में इसकी शिकायत की है। उन्होंने मनोज पर 18 लाख रुपये मकान भाड़ा नहीं देने का भी आरोप लगाया है। उसने डेढ़ लाख रुपये बिजली बिल का भी भुगतान नहीं किया। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
यह है पूरा मामला
बता दें कि हीरापुर इलाके के ज्ञान मुखर्जी रोड स्थित सिटी अस्पताल वैसे तो पिछले ढाई साल से अधिक समय से सेवा प्रदान कर रहा है। हालांकि, हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि डॉक्टर मुकेश प्रसाद के नाम पर इस अस्पताल का निबंधन किया गया है जबकि वह इस बात से अनजान हैं।
जब इस मामले पर डॉक्टर मुकेश प्रसाद से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि वे कुछ साल पहले धनबाद सिटी हॉस्पिटल में गए थे और उनका इस अस्पताल से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने केवल कुछ मरीजों का चेकअप किया था और इस दौरान उनसे कुछ कागजात मांगे गए थे।
संभवतः इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर अस्पताल प्रबंधन ने उनका नाम निबंधन के लिए उपयोग किया हो, लेकिन उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
डॉ. मुकेश प्रसाद ने संचालक पर धोखाधड़ी का लगाया आरोप
डॉ. मुकेश प्रसाद ने अस्पताल संचालक पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है और इस मामले की जानकारी सिविल सर्जन को दी है। जबकि सिविल सर्जन डॉक्टर चंद्रभानु प्रतापन ने कहा कि इस मामले की जांच के लिए कमिटी गठित कर दी गई है। प्रथम दृश्य रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी की बातें सामने आई है।
साथ ही जो डॉक्टर के नाम से अस्पताल संचालित है उनके पास भी डिग्री सही नहीं पाई गई है। जांच रिपोर्ट के आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
300 नर्सिंग होम के कागजातो की हो रही है जांच
सिविल सर्जन ने कहा कि धनबाद के लगभग 300 नर्सिंग होम के कागजात की जांच की जा रही है। किसी भी प्रकार का फर्जीवाड़ा मिलने पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा।
अस्पताल में कई बार आ चुकी है पुलिस
वहीं, स्थानियों का कहना था कि यह अस्पताल दो साल से अधिक समय से यहां स्थित है और कई बार पुलिस भी आ चुकी है, लेकिन कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। हाल ही में पिछले कई दिनों से अस्पताल में ताला लगा हुआ है।
हालांकि, कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं। जैसे कि डॉ. मुकेश प्रसाद की मर्जी के बिना उनके नाम पर निबंधन कैसे हो सकता है, जबकि निबंधन के लिए उनके दस्तखत जरूरी हैं। और यदि उन्हें इस बात का पता चल गया था, तो उन्होंने सिविल सर्जन को किसी भी प्रकार की लिखित शिकायत क्यों नहीं दी? जांच अभी चल ही रही है और इस बीच अस्पताल प्रबंधन सम्मान समेत गायब हो गए।
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