दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला: शिक्षित और योग्य पत्नियों को भरण-पोषण के लिए निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए

KK Sagar
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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि शिक्षित और योग्य पत्नियों को केवल पति से भरण-पोषण पाने के लिए बेरोजगार नहीं रहना चाहिए। अदालत ने एक विवाह विवाद में CrPC की धारा 125 के तहत अंतरिम भरण-पोषण की मांग को खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा,
“एक शिक्षित पत्नी, जिसके पास उपयुक्त नौकरी का अनुभव है, उसे केवल पति से भरण-पोषण पाने के लिए निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए।”

क्या था मामला?

इस मामले में एक महिला ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे अंतरिम भरण-पोषण देने से इनकार कर दिया गया था। दंपति की शादी 2019 में हुई थी और वे सिंगापुर में रहने लगे थे

पत्नी ने अदालत में आरोप लगाया कि

  • 2021 में पति और उसके परिवार द्वारा की गई क्रूरता के कारण उसे भारत लौटना पड़ा।
  • पति ने उसका वैवाहिक वीजा रद्द करवा दिया, जिससे वह सिंगापुर में अकेली फंस गई।
  • भारत लौटने के लिए गहने बेचने पड़े और आर्थिक तंगी के कारण मामा के साथ रहने लगी
  • उसने दलील दी कि उसने 2006 में मास्टर डिग्री पूरी की थी, लेकिन 2005-2007 के बाद किसी भी आर्थिक रूप से लाभकारी रोजगार में नहीं रही

पति की दलील

पति ने अदालत में दलील दी कि

  • पत्नी उच्च शिक्षित है और कमाने में सक्षम है, इसलिए सिर्फ बेरोजगार होने के आधार पर भरण-पोषण नहीं मांगा जा सकता
  • पत्नी द्वारा मांगे गए ₹3,25,000 मासिक भरण-पोषण की राशि उसकी पिछली जीवनशैली के लिए अत्यधिक और अनुपातहीन है।
  • पत्नी ने अपनी आर्थिक स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर बताया और जानबूझकर अपनी संभावित कमाई क्षमता को दबाने की कोशिश की

व्हाट्सएप चैट से खुलासा: जानबूझकर बेरोजगारी का प्रयास

कोर्ट ने मामले की जांच करते हुए व्हाट्सएप चैट का हवाला दिया, जिसमें पत्नी की मां ने उसे सलाह दी थी कि नौकरी करने से भरण-पोषण का दावा कमजोर पड़ जाएगा। अदालत ने इसे भरण-पोषण पाने के लिए जानबूझकर बेरोजगार रहने का प्रयास करार दिया।

हाईकोर्ट का फैसला

अदालत ने कहा कि

  • पत्नी के पास योग्यताएँ और नौकरी का अनुभव है, इसलिए वह भविष्य में खुद का भरण-पोषण कर सकती है
  • शिक्षित और सक्षम महिलाएँ केवल भरण-पोषण के लिए निष्क्रिय नहीं रह सकतीं
  • पत्नी को आत्मनिर्भर बनने और सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

अदालत ने यह भी कहा कि
“ऐसी कई महिलाएँ हैं, जो शिक्षित नहीं हैं और पूरी तरह से अपने पति पर निर्भर हैं, लेकिन इस मामले में पत्नी के पास पर्याप्त अनुभव और योग्यताएँ हैं।”

न्यायालय का संदेश

यह फैसला शिक्षित और योग्य पत्नियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करने वाला है और यह भी दर्शाता है कि यदि कोई महिला जानबूझकर बेरोजगार रहती है, तो वह भरण-पोषण की हकदार नहीं होगी

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