जमशेदपुर : राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत आज जिला उपायुक्त सूरज कुमार ने दवा लेकर इसकी शुरूआत की। मौके पर एसडीएम धालभूम संदीप कुमार मीणा, अपर उपायुक्त प्रदीप प्रसाद, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर नन्दकिशोर लाल, निदेशक डीआरडीए सौरभ कुमार सिन्हा तथा समाहरणालय परिसर में अन्य पदाधिकारियों व कर्मियों को स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा फाइलेरिया का दवा दिया गया। इस मौके पर जिला उपायुक्त ने आमजनों से भी फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दवा का सेवन करने की अपील की। भारत सरकार द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य 2022 निर्धारित किया गया है। राज्य से फाइलेरिया का उन्मूलन “राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम” के अन्तर्गत लक्षित है।

फाइलेरिया उन्मूलन के लिए एम.डी.ए कार्यक्रम इस वर्ष 23 अगस्त से 27 अगस्त 2021 तक जिले में चलाया जा रहा है जिसमें पहले तीन दिन 23, 24, 25 अगस्त को बूथ पर दवा दी गई। वहीं 26 व 27 को छूटे हुए लोगों को घर-घर जाकर दवा वितरित किया जाना है। उपायुक्त ने सभी दवा प्रशासकों को निदेशित किया कि मास्क का उपयोग व सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से संबंधित दवाओं का सेवन करवाना सुनिश्चित करेंगे। फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसके काटने से पूरे बदन में सूजन आ जाती है जिसे हाथीपाव भी कहा जाता है। इसके रोकथाम एवं बचाव हेतु फाइलेरिया से संबंधित जितनी भी दवाएं हैं उनका सेवन ससमय करना बहुत जरूरी है। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिला, गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को दवा का सेवन नहीं करना है । दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है।
फाइलेरिया से बचाव व रोकथाम के उपाय
फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्र में 5 से 7 वर्षों तक वर्ष में एक बार अभियान के तौर पर डी. ई. सी. एवं अलबेंडाजोल दवा वितरित करके फाइलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है। फाइलेरिया के रोगाणु अपने पूरे जीवन काल में करोड़ों माइक्रोफाइलेरिया रोगाणुओं को जन्म देते हैं। दवा वितरण के प्रत्येक अभियान के द्वारा माइक्रोफाइलेरिया को समुदाय में फैलने से रोका जा सकता है, जिससे मच्छरों के द्वारा अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को इसे संक्रमण से बचाया जा सकता है। सभी लक्षित आबादी को डी. ई. सी. एवं अलबेंडाजोल गोली की एक खुराक 5 से 7 वर्षों तक वर्ष में एक बार खिलाई जाए तो 80 से 90 प्रतिशत तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जिन लोगों में फाइलेरिया का संक्रमण नहीं रहता है उनमें डी.ई.सी. व अलबेंडाजोल दवा सेवन के पश्चात ये लक्षण नहीं आते हैं।