भारत के बहुप्रतीक्षित कश्मीर रेलवे परियोजना का एक और महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया है। कटरा से रियासी तक बन रही T-33 टनल का निर्माण कार्य समाप्त हो चुका है। इसके साथ ही इस मार्ग पर पहली बार ट्रेन इंजन और मालगाड़ी का सफल ट्रायल किया गया है।
चेनाब ब्रिज और T-33 टनल का काम पूरा
इससे पहले दुनिया के सबसे ऊंचे चेनाब रेलवे पुल का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इस पर ट्रायल किया गया था। चेनाब ब्रिज ने न केवल तकनीकी सफलता हासिल की बल्कि भारत के रेलवे नेटवर्क को वैश्विक पहचान दिलाई। हालांकि, कटरा से रियासी मार्ग पर T-33 टनल निर्माण में आ रही चुनौतियों के कारण ट्रेन सेवा शुरू नहीं हो पाई थी। अब यह काम भी पूरा हो चुका है, जिससे इस क्षेत्र में ट्रेन संचालन का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
रेल मार्ग का विस्तार
जम्मू से बारामूला तक के रेल मार्ग को जोड़ने की योजना में कटरा-रियासी-संगलदान खंड सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्तमान में ट्रेन सेवा जम्मू से कटरा और संगलदान से बारामूला तक संचालित हो रही है। कटरा से रियासी और रियासी से संगलदान के बीच की कड़ी पूरी होने से कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से रेल के माध्यम से जोड़ने का सपना साकार होगा।
रेल मंत्री का संदेश
T-33 टनल के निर्माण कार्य पूरा होने पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट करते हुए इस ऐतिहासिक उपलब्धि की सराहना की। उन्होंने लिखा, “सुरंग संख्या-1 और अंजी खड्ड केबल ब्रिज से होकर गुजरता पहला इलेक्ट्रिक इंजन।” यह संदेश रेलवे की तकनीकी प्रगति और कश्मीर रेलवे परियोजना की सफलता को दर्शाता है।
जल्द शुरू होगी कश्मीर ट्रेन यात्रा
चेनाब ब्रिज और T-33 टनल का निर्माण पूरा होने के बाद अब यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही देशभर के लोग ट्रेन के जरिए कश्मीर की वादियों का आनंद ले सकेंगे। यह परियोजना न केवल कश्मीर के विकास में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि देश के अन्य हिस्सों को कश्मीर से जोड़कर सामाजिक और आर्थिक समृद्धि भी लाएगी।
कश्मीर रेल परियोजना का महत्व
यह परियोजना भारत के रेलवे इतिहास में तकनीकी, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक अनूठी उपलब्धि है। यह न केवल कश्मीर के पर्यटन को बढ़ावा देगी, बल्कि क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार और व्यापार के नए अवसर भी प्रदान करेगी।