बिना चालान के खुलेआम होती है बिक्री
शहर आते-आते बालू की कीमत हो जाती है 4 से पांच हजार रुपए सीएफटी
शहर के अलग-अलग इलाकों में सुबह में बालू भरे 407 हो जाती है खड़ी
मिरर मीडिया : एनजीटी ने नदी घाटों से बालू के उठाव पर रोक लगा रखी है,वावजूद जिले में अवैध तरीके से बालू का उठाव चोरी छिपे तो कहीं खुल कर और धड़ल्ले से हो रह है। इतना ही नहीं इसके साथ साथ बालू की बिक्री भी जोरों से जारी है। हालांकि खनन विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में भी मामला है लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे रहते है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बालू की कोई कीमत नहीं होती है लेकिन अवैध रूप से हो रहे कार्यों के चलते इसकी कीमत आसमान छू रही होती है नदी घाटों से अवैध रूप से उठाएं जाने के बाद शहर आते आते 100 सीएफ्टी की कीमत 4 से 5 हजार रूपये तक हो जाती है क्योंकि नदी घाटों से लेकर शहर के विभिन्न थानों में चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है साथ ही खनन विभाग के अधिकारी एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को भी चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है नतीजा बालू की कीमत में इजाफा होता जाता है जबकि देखा जाए तो इसमें अधिकारी मालामाल होते हैं लेकिन जनता पीस जाती है।
विभाग के अधिकारी के मिलीभगत के कारण जिला प्रशासन बालू के अवैध उठाव को रोकने में असफल है अभी राज्य में एक ओर ईडी की कार्रवाई चल रही है,वहीं दूसरी ओर अवैध बालू उत्खनन एवं कारोबार जोरों पर चल रहा है।
विदित हो कि हाल ही में जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने अवैध बालू खनन एवं तस्करी का वीडियो जारी कर अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे और अपने ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। अब सवाल उठता है कि एनजीटी के रोक के बावजूद जिले में बालू का अवैध उत्खनन और कारोबार बेलगाम क्यों है? शहर में प्रतिदिन बिना चालान के अधिकारियों के नाक के नीचे धड़ल्ले से बालू की बिक्री हो रही है फिर भी अधिकारी मौन क्यों है? इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अधिकारियों को हर महीने उनका नजराना मिल जाता है जिसके कारण रोक के बावजूद बालू के अवैध परिवहन जारी हैं?
बता दें कि टुंडी ,पूर्वी टुंडी, निरसा, बलियापुर, महुदा एवं कई अन्य थाना क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर बराकर एवं दामोदर नदी से बालू का अवैध तरीके से खनन जारी है। एवम मनमाने कीमत पर बालू की बिक्री हो रही है। स्थानीयों का आरोप है कि बगैर पुलिस को चढ़ावा दिए एवं खनन विभाग को मैनेज किए यह कार्य नहीं हो सकता है। इसलिए बालू से तेल निकालने की कला में माहिर थानेदार एवं पदाधिकारी छापेमारी का दिखावा कर हरियाली बटोरने में जुटे हुए हैं और एनजीटी के आदेश को ठेंगा दिखाकर अवैध बालू का खनन और कारोबार जोरों से चल रहा है।
जबकि उपायुक्त संदीप सिंह ने जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक में एनजीटी के नियमों के अनुरूप समय-समय पर छापेमारी करने का निर्देश टीम को दिया है। हाल ही में बेजरा घाट से में करीब 6 लाख सीएफटी बालू को जब्त भी किया गया था। लेकिन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण इस पर अभी तक रोक नहीं लग पाई है।
बहरहाल एनजीटी के आदेशों का विभाग द्वारा कितना पालन किया जाता है और अवैध रूप से हो रहे बालू की बिक्री पर किस प्रकार करवाई होती है यह देखने वाली बात होगी।