बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तापमान चढ़ा हुआ है। वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की प्रक्रिया को लेकर पहले ही सियासी घमासान हो रहा है। इस बीच नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की वित्त पर साल 2023-24 की रिपोर्ट के खुलासे से हड़कंप मच गया है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बिहार में करीब 71 हजार करोड़ रुपये का लेखाजोखा सरकार नहीं दे सकी है। कैग ने साफ कहा है कि बिना सर्टिफिकेट के यह माना जा सकता है कि इन पैसों को गबन कर लिया गया हो।

गुरुवार को विधानसभा में प्रस्तुत कैग कि रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के महालेखाकार (लेखा और हकदारी) को 31 मार्च, 2024 तक 70877.61 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण-पत्र (यूसी) नहीं मिले। स्मरण कराने के बावजूद इस अवधि तक 9205.76 करोड़ का सार आकस्मिक विपत्र (डीसी बिल) भी उपलब्ध नहीं कराया गया। इसमें 7120.02 करोड़ के बिल वित्तीय वर्ष 2022-23 से संबंधित हैं। कैग ने कहा है कि उपयोगिता प्रमाणपत्रों के अभाव में इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वितरित धनराशि का उपयोग इच्छित उद्देश्य के लिए किया गया है।
गबन और धन के दुरुपयोग का खतरा बढ़ा
कैग की ओर से कहा गया है कि आखिर इतनी मोटी रकम कहां चली गई। बिहार सरकार इस बात का जवाब नहीं पाई है कि इन पैसों को कहां खर्च किया गया। जिस मद के लिए इन पैसों को लिया गया था, उस मद में खर्च हाने का कोई प्रमाण भी नहीं दिख रहा है। अगर सरकार उपयोगिता प्रमाणपत्रों को जमा नहीं करती या फिर उन्हें लंबित रखती है तो गबन और धन के दुरुपयोग का खतरा बढ़ जाता है।
तेजस्वी के कार्यकाल से भी जुड़े तार
जिन 70,877 करोड़ रुपए का जिक्र कैग की रिपोर्ट में किया गया है उनमें से 14,452.38 करोड़ रुपए वित्त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के हैं। उस समय तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि डिफॉल्टर विभागों में पंचायती राज सबसे ऊपर है, जिसने 28,154.10 करोड़ रुपए के प्रमाणपत्र जमा नहीं किए हैं। इसके बाद शिक्षा (12,623.67 करोड़ रुपए), शहरी विकास (11,065.50 करोड़ रुपए), ग्रामीण विकास (7,800.48 करोड़ रुपए) और कृषि (2,107.63 करोड़ रुपए) शामिल हैं।
2015 में किसके पास कौन सा था मंत्रालय
जिस समय 2015 में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई थी उस समय पंचायती राज जेडीयू के कपिल देव कामत, शिक्षा मंत्रालय जेडीयू के अशोक चौधरी, शहरी विकास मंत्रालय जेडीयू के महेश्वर हजारी, ग्रामीण विकास मंत्रालय जेडीयू के श्रवण कुमार और कृषि मंत्रालय आरजेडी के राम विचार राय को दिया गया था। वहीं, तेजस्वी यादव तीन मंत्रालयों की जिम्मेंदारी संभाली थी। उन्होंने अपने पास सड़क निर्माण, भवन निर्माण, पिछड़ा वर्ग विकास मंत्रालय रखा था। इसके अलावा तेज प्रताप यादव के पास भी मंत्रालय का जिम्मा था, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय शामिल था।