झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा 66 उम्मीदवारों की घोषणा करते ही पार्टी के भीतर असंतोष और बगावत का माहौल पैदा हो गया है। वर्तमान स्थिति यह है कि विधानसभा की 15 सीटों पर 15 से अधिक बागी उम्मीदवार अपने-अपने दावे के साथ मैदान में आ चुके हैं। इन बागियों का आरोप है कि बीजेपी दलबदलुओं और परिवारवाद की राजनीति में उलझ गई है, जो पार्टी की नीति और सिद्धांतों के खिलाफ है।
नाला से लेकर जमुआ तक बगावत का सिलसिला
नाला विधानसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार माधव चंद्र महतो के खिलाफ बागी नेता बाटुल झा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। यह स्थिति अन्य सीटों पर भी देखी जा रही है। सारठ में रणधीर सिंह और जमुआ में केदार हाजरा ने भी बगावत की है। इस प्रकार, हर क्षेत्र में बागियों की एक लंबी फेहरिस्त तैयार हो रही है, जो बीजेपी की चुनावी रणनीति के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
झामुमो की बढ़ती ताकत
बागियों के बीजेपी छोड़ने का लाभ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को मिल सकता है। चूंकि कई बागी नेता झामुमो में शामिल हो रहे हैं, इससे यह साफ है कि बीजेपी की वोटबैंक पर खतरा मंडरा रहा है। झामुमो के प्रवक्ता ने कहा, “हम सभी बागियों का स्वागत करते हैं। यह दर्शाता है कि लोग बीजेपी की नीतियों से असंतुष्ट हैं।”
स्थानीय नेता और उनका विरोध
जमशेदपुर के स्थानीय नेता विकास सिंह ने पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है, जबकि रांची के संदीप वर्मा ने अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की है। ये स्थानीय नेता बीजेपी के उम्मीदवारों के खिलाफ अपनी आवाज उठाने में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं, जो पार्टी के लिए एक गंभीर चुनौती है।
प्रमुख बागियों की स्थिति
1. चंपई सोरेन की सरायकेला सीट
सरायकेला सीट पर बड़ी बगावत देखने को मिली है। यहाँ बीजेपी के तीन बागी—बास्को बेरा, लक्ष्मण टुडु और गणेश महली—ने पार्टी से इस्तीफा देकर हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में शामिल होने का निर्णय लिया है। चंपई सोरेन, जो यहाँ से पांच बार विधायक रह चुके हैं, पार्टी के चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं।
2. नाला विधानसभा सीट
नाला विधानसभा क्षेत्र में झामुमो के रवींद्र नाथ महतो के मुकाबले बीजेपी ने माधव चंद्र महतो को उम्मीदवार बनाया है। महतो के मैदान में उतरने से पूर्व बीजेपी उम्मीदवार बाटुल झा ने बगावत की है और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यह स्थिति बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है।
3. सारठ विधानसभा सीट
सारठ सीट पर बीजेपी ने रणधीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जो पहले झारखंड विकास मोर्चा में थे। इस पर पूर्व विधायक चुन्ना सिंह ने बगावत कर दी है और वह झामुमो के सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यह बगावत बीजेपी की योजना को और कठिन बना सकती है।
4. जमुआ विधानसभा सीट
जमुआ सीट पर बीजेपी ने मंजू कुमारी को प्रत्याशी बनाया है, जो पहले कांग्रेस में थीं। मौजूदा विधायक केदार हाजरा ने इस निर्णय के खिलाफ बगावत कर दी है और वह झामुमो में शामिल हो गए हैं। हाजरा का चुनावी मैदान में उतरना पार्टी की स्थिति को कमजोर कर सकता है।
5. ईचागढ़ सीट
बीजेपी ने इस सीट को आजसू को दे दिया है। यहां से चुनाव लड़ने वाले मलखान सिंह ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चेबंदी शुरू कर दी है और निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। यह स्थिति पार्टी के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि झामुमो की सविता महतो भी मैदान में हैं।
6. बिश्नुपुर सीट
बिश्नुपुर सीट पर रमेश उरांव ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। बीजेपी ने यहां समीर उरांव को उम्मीदवार बनाया है, जो पार्टी की पसंद बताए जा रहे हैं। रमेश उरांव की नाराजगी से पार्टी की स्थिति और कमजोर हो सकती है, खासकर जब झामुमो की तरफ से चमरा लिंडा को भी मैदान में उतारा जा सकता है।
7. महेशपुर और हुसैनाबाद सीटें
महेशपुर सीट पर बीजेपी ने आजसू को टिकट दिया है, जिसके खिलाफ मिस्त्री सोरेन ने बगावत की है। वहीं, हुसैनाबाद सीट पर बीजेपी ने एनसीपी से आए कमलेश सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि विनोद सिंह ने पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस प्रकार की बगावतें बीजेपी की चुनावी रणनीति को प्रभावित कर सकती हैं।
8. जमशेदपुर पश्चिम और रांची सीट
जमशेदपुर पश्चिम से बीजेपी ने जनता दल यूनाइटेड को टिकट दिया है, जिससे कद्दावर नेता सरयू राय के मैदान में आने से विकास सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। रांची सीट पर बीजेपी ने सीपी सिंह को फिर से उम्मीदवार बनाया है, जिससे नाराज संदीप वर्मा ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है। ये सभी घटनाक्रम बीजेपी के लिए चिंता का विषय हैं।
9. बरकट्टा और जमशेदपुर पूर्वी सीट
बरकट्टा से बीजेपी ने अमित यादव को टिकट दिया है, जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए थे। पार्टी के इस फैसले के खिलाफ स्थानीय नेता कुमकुम ने बगावत की है और चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। जमशेदपुर पूर्वी में बीजेपी ने ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास की बहू पूर्णिणा को उम्मीदवार बनाया है, जिसके खिलाफ स्थानीय नेता शिवशंकर सिंह ने भी विरोध जताया है।
10. अन्य सीटें
बहरगोड़ा, मधुपुर, दुमका और सरायकेला जैसी कई अन्य सीटों पर भी बगावत की आवाजें सुनाई दे रही हैं। दुमका सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी लुईस मरांडी ने भी बगावत का बिगुल फूंक दिया है और झामुमो में शामिल हो गई हैं। दुमका से बीजेपी ने सुनील सोरेन को सिंबल दिया है, जो हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन के खिलाफ खड़े होंगे।
गौरतलब है कि झारखंड में बीजेपी को अब अपनी रणनीतियों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। बागियों की संख्या बढ़ने और झामुमो की बढ़ती ताकत के बीच, बीजेपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी में असंतोष की इस लहर को नियंत्रित किया जा सके। आगामी चुनावों में क्या बीजेपी इस बगावत को संभाल पाएगी या इसकी चुनावी संभावनाएं खतरे में पड़ जाएंगी, यह समय ही बताएगा।