मिरर मीडिया : शारदीय नवरात्रि के बाद आज अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को
दशहरा (विजयादशमी) के रूप में मनाते हैं। आदिशक्ति के नौ स्वरूप की नौ दिनों में पूजा अर्चना के बाद आज माँ दुर्गा की विदाई होगी। पूजा पंडालो में स्थापित की गई माँ की प्रतिमा का आज विसर्जन किया जाएगा। बता दें कि माँ दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी जिसके बाद इसे विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था इसलिए इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।
बता दें कि इस दिन लोग शस्त्र-पूजा करते हैं और नया कार्य प्रारम्भ करते हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन स्थान-स्थान पर मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन होता है। रावण मेघनाद कुभंकरण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।
इस पर्व को भगवती के ‘विजया’ नाम पर भी ‘विजयादशमी’ कहते हैं। इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।