मिरर मीडिया : ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।
वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
आश्विन मास शुक्ल पक्ष और प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो चुका है। 26 सितंबर से 5 अक्तूबर तक नवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा। इस दौरान हर दिन मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। वहीं नवरात्रि के पहले दिन माँ का प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है। मां दुर्गा के इस स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए आप कुछ मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।
कलशस्थापना या घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सोमवार 26 सितंबर को सुबह 3 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगी और मंगलवार 27 सितंबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। घर में घट स्थापन का शुभ मुहूर्त सोमवार सुबह 6 बजकर 28 मिनट से लेकर 8 बजकर 1 मिनट तक है। देवी की पूजा से पहले घट यानी कलश स्थापनी की जाती है। आपको कलश स्थापना के लिए 1 घण्टा 33 मिनट का समय मिलेगा।
हालांकि इसके अलावा आप अभिजीत मुहूर्त में भी घट स्थापना कर सकते हैं। जानकारी दे दें कि अभिजीत मुहूर्त सामवार 26 सितंबर को सुबह 11.54 से लेकर दोपहर 12.42 तक है। इस मुहूर्त में भी घटस्थापना करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
कैसे करें कलशस्थापना
कलश में देवी-देवताओं, ग्रहों और नक्षत्रों का वास माना जाता है। यह सुख-समृद्धि और मंगल कार्य का प्रतीक भी माना जाता है। बता दें कि इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। पहले कलश को गंगा जल से भरें। उसके मुख पर आम या अशोक की पत्तियां लगाएं। जिसके बाद कलश के ऊपर नारियल रखें. फिर कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें। अब आप फल-फूल, कपूर, अगरबत्ती और ज्योत के साथ पंचोपचार से पूजा करें।