हाजरा क्लिनिक में आग की घटना बेहद दुःखद : अब जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्र की सुरक्षा को लेकर उठने लगे सवाल : कुमार मधुरेंद्र ने CS को पत्र लिख की मांग

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मिरर मीडिया : कहा गया है कि आकस्मिक होने वाली घटना को कोई नहीं रोक सकता है। घटना संभावित होकर घटित हो जाती है। हालांकि बचाव और सुरक्षा से इसे जरूर कम किया जा सकता है। इसीलिए तो सावधानी इलाज से जरूर बेहतर होता है। बीते दिन की दर्दनाक आग लगने की घटना ने पूरे धनबाद को स्तब्ध कर दिया है।

इतनी बड़ी घटना जिसमें डॉक्टर हाजरा दंपत्ति सहित 5 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई वह कैसे भुलाया जा सकता है। आज हम उस घटना का जिक्र करते हुए आपको सावधानी सुरक्षा के मनको पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिसको लगभग दरकिनार कर दिया जाता है और जैसे तैसे क्लिनिक को चलाया जाता है। लिहाजा परिणाम बहुत ही भयावह होती है।

घटना से सबक लेने की जरूरत

घटना से सबक लेने की जरूरत होती है और सही आंकलन कर सुरक्षा को बेहतर करते हुए सावधानी का ज्यादा ख्याल रखकर इसे धरातल पर उतारना है जिससे भविष्य में फिर ऐसी घटना की पुनरावृति ना हो।

आपको बता दें कि जिले में करीब 500 क्लिनिक, अस्पताल या नर्सिंग होम है पर अधिकांश में अग्नि सुरक्षा को लेकर कोताही बरती जा रही है और अधिकांश अस्पतालों में अग्निशमन का NOC नहीं है।

इसी क्रम में समाजसेवी कुमार मधुरेंद्र ने भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृति ना इसके लिए धनबाद सिविल सर्जन को पत्र लिखकर इससे बचाव हेतु एक जांच टीम गठित करने का आग्रह किया है। उन्होंने हाजरा दंपत्ति सहित 5 लोगों की अप्रिय और दर्दनाक घटना पर बेहद शोक जताते हुए धनबाद के मरीजों वाले क्लीनिक और अस्पताल के मापदंड की जांच युद्ध स्तर पर करने के लिए एक समिति या कमिटी गठित कर संबंधित विभाग जो उस क्लीनिक और अस्पताल को एन ओ सी देते हैं उनके साथ सामंजस्य स्थापित कर कराए जाने का आग्रह किया है जिससे अप्रिय घटनाएं से बचा जा सके।

उन्होंने पत्र के माध्यम से निवेदन किया है कि संबंधित विषय पर चर्चा कर विभागीय अधिकारी अपर मुख्य सचिव महोदय, प्रभारी मंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री महोदय झारखंड सरकार एवं उपायुक्त महोदय धनबाद से समाज हित में अनहोनी ना हो इसलिए सभी पुराने क्लिनिक एवं अस्पताल रिहायशी इलाकों में चल रहे आमजन के हित में टीम गठित कर सभी संबंधित विभाग जो एन ओ सी देते हैं उनके अनुसार सभी मापदंड पर खड़े उत्तर रहे हैं कि नहीं उसकी जांच पड़ताल हो।

इसके साथ ही बारिकी से एक्ट के प्रावधानों के अनुसार ही सभी को प्रत्येक वर्ष जांच पड़ताल की जाए। आगे भी प्रतिवर्ष clinical and stablisment act के प्रावधान की सभी मानकों को पुरा करने वाले को ही renewal  करने का प्रतिवर्ष प्रमाण पत्र मिले जिसमें किसी भी तरह की कोई भी चुक की गुंजाईश नहीं हो।

वहीं हाजरा क्लिनिक में आग की घटना पर संज्ञान लेते हुए धनबाद उपायुक्त ने सिविल सर्जन डॉ अलोक विश्वकर्मा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों के की जिसके बाद जिले के सभी नर्सिंग होम, पौली क्लिनिक सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्र की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं एक माह के अंदर ही NOC लेने के भी निर्देश दिए हैं। अग्निशमन व्यवस्था नहीं होने पर सम्बंधित संस्था के ख़िलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।

उन्होंने CS को निर्देश दिए हैं कि उनकी सूची बनाए जिन्होंने अग्नि सुरक्षा को लेकर NOC लिया और किसने नहीं लिया है। जिसके आधार पर कार्रवाई की जा सके इसके साथ ही अग्निशमन विभाग से समन्वय स्थापित कर अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए भी निर्देश दिए हैं।

खैर ये हादसे बिन बुलाए थे या चूक और लापरवाही का नतीजा था, इसपर बहस करना अब अतिश्योक्ति होगी। पर सच तो ये है कि नियम को दरकिनार नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही आपदा और आकस्मिक घटना को न्यूनतम करने के लिए जरुर सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। आज के आधुनिक तकनीक इसपर बेहतर रूप से कारगर है अगर आग लगने की घटना होती है तो ये तकनीक धुए से अलार्म बजाती है जिससे समय रहते सब सचेत हो जाएं और बड़े नुकसान की घटना से बच सके। इसके साथ ही प्रत्येक क्लिनिक में एक इमरजेंसी विंडो जरूर होने चाहिए जिससे घटना के वक्त इमरजेंसी एग्जिट कर सके।

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