अदालती लड़ाई के बजाय बातचीत से सुलझा बोकारो के अय्यर गांव का ज़मीन विवाद, प्रशासन ने दिलाया भरोसा

Uday Kumar Pandey
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बोकारो। गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थित अय्यर गांव में आदिवासी रैयती ज़मीन पर कब्जे को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद अब शांत होने की दिशा में बढ़ा है। बेरमो के एसडीएम मुकेश मछुवा ने दोनों पक्षों के बीच समझौता कराते हुए विवादित भूमि की मापी और सीमांकन कराने का दावा किया है। प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने और निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश भी जारी कर दिया है।

इस विवाद में उस वक्त तेजी आई जब 21 मई को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अय्यर गांव पहुंचे और रैयत आदिवासी परिवारों से मिलकर उनकी समस्याएं जानीं। अगले ही दिन 22 मई को पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने डीसी विजय जाधव से मिलकर जमीन पर जबरन कब्जा और अवैध जमाबंदी की शिकायत की। इसके बाद डीसी ने त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए।

अमर बाउरी, बुधन सोरेन और रमाकांत सोरेन जैसे नेताओं की सक्रियता और दबाव के बाद प्रशासन हरकत में आया और एसडीएम की अगुवाई में अय्यर गांव में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में एसडीपीओ बशिष्ठ नारायण सिंह, सीओ आफताब आलम, पुलिस निरीक्षक जितेंद्र कुमार, ललपनिया थाना प्रभारी शशि शेखर और महुआटांड़ थाना प्रभारी कृष्ण कुमार कुशवाहा सहित कई प्रशासनिक अधिकारी और दोनों पक्षों के लोग मौजूद रहे।

ग्राम प्रधान अनिल हांसदा की अध्यक्षता में हुई बैठक में भूमि की मापी के दौरान यह साफ हुआ कि आदिवासी रैयत भूमि पर अतिक्रमण हुआ है। मौके पर आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोग जल, जंगल, जमीन और अस्मिता की रक्षा की मांग करते हुए एकजुट नजर आए। उन्होंने सवाल उठाया कि जब जमीन रैयती है, तो बाहरी लोग उस पर कैसे कब्जा और जमाबंदी करा लेते हैं?

प्रशासन ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हुए भरोसा दिलाया कि न्यायसंगत और कानूनी तरीके से कार्रवाई की जाएगी।

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मैं उदय कुमार पाण्डेय, मिरर मीडिया के न्यूज डेस्क पर कार्यरत हूँ।