डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: जिले के मिलावटी खाद्य पदार्थों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। ऐसे खाद्य पदार्थ खाकर बड़ी संख्या में बच्चे व बड़े बीमार हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नज़र डालें तो हाल के वर्षों में लोग तेजी से पेट से जुड़ी समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं।
चिकित्सकों के अनुसार इसका मुख्य कारण खाने के सामान में मिलावट है।खासकर स्ट्रीट फूड के स्टॉलों में बड़े पैमाने में लोगों को मिलावटी भोजन परोसा जा रहा है।इनमें कुछ होटल व रेस्टोरेंट भी शामिल हैं।
लंबे समय से खाने-पीने के सामानों की नही हुई जांच
जिले में होटल, रेस्टोरेंट व सड़कों पर लगने वाले स्टॉलों में बिक रहे खाने-पीने के सामानों की जांच लंबे समय से बंद है।स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार खाद्य सामग्री के सैंपलों की जांच विगत चार-पाच माह से नहीं हो रही है। ऐसे में कुछ होटल, रेस्टोरेंट व स्ट्रीट फूड का स्टॉल संचालक ज्यादा कमाई के लिए मिलावटी खाद्य सामग्री परोस रहे हैं।
इधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार मिलावटी खाद्य सामग्री की जांच के लिए फूड सेफ्टी विभाग है ।नियमानुसार विभाग द्वारा समय-समय पर होटल, रेस्टोरेंट व स्टॉलों में बिक रहे खाद्य सामग्री की जांच की जानी है।जिले में आखिरी बार 2023 में दुर्गा पूजा के दौरान जांच के लिए खाद्य पदार्थों के सैंपल लिये गये थे। इसके बाद से अबतक सैंपल नहीं लिया गया है। वहीं , अब होली का त्योहार आने वाला है और बड़ी संख्या में लोग बाहर से खाना मांगते है। ऐसे में खाने की गुणवत्ता पर कोई ध्यान देने वाला नही है।
माह में दो से तीन दिन ही फूड सेफ्टी अधिकारी आते हैं धनबाद
जिले में मिलावटी खाद्य सामग्री की जांच के लिए एक अस्थाई फूड सेफ्टी अधिकारी की नियुक्ति गयी है।उक्त अधिकारी को तीन जिलों का प्रभार दिया गया है। ऐसे में माह में दो से तीन दिन ही फूड सेफ्टी अधिकारी धनबाद आते हैं। इस दौरान कार्यालय के कार्य संपादन के अलावा अन्य कार्यों के लिए समय ही नहीं बचता।नतीजा, खाद्य सामग्री के सैंपलों की जांच बंद है।
हर सप्ताह में कम से कम 10 होटल और रेस्टोरेंट की होनी चाहिए जांच
स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के नियम के अनुसार जिले में संचालित फूड सेफ्टी विभाग द्वारा हर सप्ताह में कम से कम 10 होटल, रेस्टोरेंट व स्ट्रीट फूड के स्टॉलों में बिक रहे खाने- पीने के सामानों की जांच के लिए सैपल कलेक्ट करना है, यानि, एक माह में अलग-अलग जगहों से लिए गए कम से कम 40 सैंपलों की जांच करनी है|