इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बनी नई संसद भवन : PM ने उद्घाटन कर देश को किया समर्पित : 75 रुपये का सिक्का और एक विशेष स्मारक डाक टिकट भी किया जारी

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मिरर मीडिया : हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। आज 28 मई, 2023 का ये दिन, ऐसा ही शुभ अवसर है।

देश को आज नया संसद भवन मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैदिक परंपराओं के बीच नई संसद का उद्घाटन किया। साथ ही पीएम मोदी ने ऐतिहासिक सेंगोल को भी स्थापित किया। नई संसद में पीएम मोदी ने अपना पहला भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने संसद भवन की वास्तुकला, देश के समृद्ध इतिहास और नौ साल के कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जिक्र किया कि वह संसद भवन के निर्माण कार्य में भूमिका निभाने वाले श्रमिकों से भी मिले। उन्होंने बताया कि 60 हजार श्रमिकों को इस संसद भवन के निर्माण से रोजगार मिला। उनकी कड़ी मेहनत को समर्पित करते हुए एक डिजिटल गैलरी बनाई गई है। पीएम मोदी ने कहा कि यह विश्व में शायद पहली बार हुआ होगा। इसके साथ ही संसद के निर्माण में उनका योगदान भी अमर हो गया।

इस अवसर पर 75 रुपये का सिक्का और एक विशेष स्मारक डाक टिकट भी जारी किया गया। नई पार्लियामेंट कई मायनों में पुराने भवन से अलग है। आइये आपको बताते हैं कि संसद का नया भवन बनाने में कितना समय लगा, साथ ही कितनी लागत आई और पुराने भवन से यह कितना अलग और बड़ा है।

संसद के नए भवन को टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने बनाया है। इसमें भव्य संविधान हॉल, सदस्यों के लिए लाउंज, लाइब्रेरी, कई केमटी रूम, कैफे, डाइनिंग एरिया और पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह है। इसका डिजाइन गुजरात की कंपनी एचसीपी ने तैयार क‍िया है। रिपोर्ट्स की मानें तो नए भवन को बनाने में लगभग 1,200 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

नए भवन के लोकसभा चेंबर में 888 सदस्य और राज्यसभा चेंबर में 384 सदस्य बैठ सकते हैं। दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होने पर लोकसभा कक्ष में कुल 1,280 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। पीएम मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को नए भवन की आधारशिला रखी थी और तीन साल से कम समय में यह बनकर तैयार हो गया। 64,500 वर्ग मीटर में फैली ये चार मंजिला इमारत त्रिकोणीय आकार की है।

इस इमारत के तीन मुख्य द्वार- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार हैं। इसमें वीआईपी, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं। नई संसद में ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया गया है। लोकसभा कक्ष को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर और राज्यसभा कक्ष को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर बनाया गया है।

संसद के नए और पुराने भवन की तुलना करें तो पुराना संसद भवन करीब 6 साल के वक्त में 1927 में बनकर तैयार हुआ था। जबकि नया भवन तीन साल से कम समय में तैयार कर दिया गया. पुराने भवन को वर्तमान आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त पाया गया और बैठने की व्यवस्था भी तंग थी। इसलिए नए भवन का निर्माण किया गया. 566 मीटर व्यास में बने पुराने भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्यों की क्षमता है। करीब सौ साल पुराने इस भवन में दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों के दौरान अधिक जगह की आवश्यकता महसूस की गई थी।

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