गुमला: झारखंड की समृद्ध लोक संस्कृति को नया आयाम देते हुए गुमला समाहरणालय भवन की दीवारें अब पारंपरिक सोहराई पेंटिंग की खूबसूरत झलकियों से सजी हुई हैं। उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के नेतृत्व में यह पहल की गई, जिससे न केवल भवन की शोभा बढ़ी, बल्कि जनजातीय कला को नई पहचान भी मिली।
सोहराई चित्रकला झारखंड की जनजातीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा रही है, जो मुख्य रूप से दीपावली के बाद मनाए जाने वाले सोहराई पर्व पर घरों की दीवारों पर उकेरी जाती है। यह कला प्रकृति, पशुपालन और ग्रामीण जीवन को दर्शाती है। अब इसी परंपरा को प्रशासनिक भवन में स्थान देकर जिला प्रशासन ने एक सांस्कृतिक पहल की मिसाल कायम की है।
उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित ने कहा,
“यह सिर्फ सजावट नहीं, हमारी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देने का प्रयास है। इस पहल से न केवल भवन की सुंदरता में वृद्धि हुई है, बल्कि स्थानीय कलाकारों को भी मंच मिला है।”
इस चित्रांकन कार्य में स्थानीय आदिवासी चित्रकारों की अहम भूमिका रही, जिन्हें प्रशासन द्वारा भरपूर सहयोग और सम्मान दिया गया। दीवारों पर उकेरे गए पारंपरिक पशु आकृतियाँ, पेड़-पौधे और जनजातीय जीवन के चित्र अब गुमला समाहरणालय को एक सांस्कृतिक प्रतीक स्थल के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।