नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में होली की रात लगी रहस्यमयी आग और कथित रूप से जलकर खाक हुए नोटों का मामला अभी भी सुलझ नहीं पाया है। इस हाई-प्रोफाइल केस में सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर जस्टिस वर्मा से तीन अहम सवाल पूछे, जिनका उन्होंने लिखित में जवाब दिया। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
सुप्रीम कोर्ट के तीन बड़े सवाल
- कैश की उपस्थिति: जस्टिस वर्मा के घर में भारी मात्रा में मौजूद नकदी का हिसाब कैसे दिया जाएगा?
- कैश का स्रोत: घर में मिले नोट कहां से आए थे?
- नोट हटाने वाला व्यक्ति: 15 मार्च 2025 की सुबह कमरे से जले हुए नोट किसने निकाले?
जस्टिस वर्मा के जवाब
जस्टिस वर्मा ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें अपने घर के स्टोर रूम में रखी किसी भी नकदी की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने दावा किया कि न तो उनके परिवार और न ही उनके स्टाफ ने कोई नकदी देखी या हटाई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि होली की रात लगी आग के दौरान उनके घर में कोई जले हुए नोट नहीं पाए गए।
तीसरे सवाल के जवाब में जस्टिस वर्मा ने कहा कि वह और उनकी पत्नी 15 मार्च की शाम भोपाल से लौटे थे, इसलिए जले हुए नोटों को हटाने के आरोप निराधार हैं।
सुप्रीम कोर्ट की जांच जारी
इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय कमेटी कर रही है। जस्टिस वर्मा द्वारा दिए गए जवाब भी कमेटी को सौंप दिए गए हैं। इस बीच, कैश कांड के बाद जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया है।
इस रहस्यमयी मामले में कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं और सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।