स्विट्ज़रलैंड के प्रसिद्ध स्की रिसॉर्ट शहर दावोस में 20 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाली विश्व आर्थिक मंच (WEF) की पांच दिवसीय वार्षिक बैठक में भारत की महत्वपूर्ण भागीदारी देखने को मिलेगी। इस बैठक में भारत के तीन मुख्यमंत्री – महाराष्ट्र के देवेंद्र फडणवीस, आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू, और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी – 100 से अधिक सीईओ और अन्य प्रमुख नेताओं के साथ शामिल होंगे।
मुख्य भारतीय प्रतिनिधि
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नायडू के साथ उनके बेटे और राज्य के मंत्री नारा लोकेश भी बैठक में भाग लेंगे। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, तमिलनाडु के मंत्री टी. आर. बी. राजा, और उत्तर प्रदेश के मंत्री सुरेश खन्ना भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे।
केंद्र सरकार की ओर से कुछ वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों के भी शामिल होने की उम्मीद है। हालांकि उनके नामों की अभी घोषणा नहीं की गई है। पिछले साल के सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, स्मृति इरानी, और हरदीप सिंह पुरी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो पहले भी इस बैठक में भाग ले चुके हैं, की भागीदारी को लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
सम्मेलन का मुख्य विषय
इस वर्ष शिखर सम्मेलन का विषय ‘मेधा युग के लिए सहयोग’ रखा गया है। इसमें वैश्विक भू-राजनीतिक संकट, जैसे यूक्रेन युद्ध, पश्चिम-एशिया की स्थिति, और अमेरिका में सत्ता परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
व्यापारिक समूहों की मजबूत उपस्थिति
भारतीय व्यापार जगत से रिलायंस, टाटा, अदाणी, बिड़ला, महिंद्रा, गोदरेज, जिंदल, बजाज, और वेदांता जैसे शीर्ष समूहों के सीईओ इस बैठक में शामिल होंगे। इन कंपनियों के प्रमुख भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करेंगे।
भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस बैठक का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने जा रहे हैं। ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच वैश्विक मंच पर चर्चाएं इस सम्मेलन के प्रमुख आकर्षणों में से एक हो सकती हैं। मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत का वैश्विक आर्थिक प्रभाव बढ़ा है, जो इस सम्मेलन में भारत की भागीदारी को और महत्वपूर्ण बनाता है।
भारत की बढ़ती भूमिका
दावोस में होने वाली इस वार्षिक बैठक में करीब 50 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के भाग लेने की संभावना है। भारत के प्रतिनिधिमंडल की मजबूत उपस्थिति यह दर्शाती है कि वैश्विक आर्थिक मंच पर भारत की भूमिका लगातार बढ़ रही है।