जमशेदपुर। बिस्टुपुर डॉ. श्री कृष्ण सिन्हा संस्थान के प्रेक्षागृह में बाबा का कमरा काव्य-संग्रह का विमोचन संपन्न हुआ। देश व समाज को समर्पित अखिल भारतीय संगठन भारतीय जन महासभा के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंद्र देव प्रसाद ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन कृष्ण पब्लिक स्कूल के डायरेक्टर डॉ. श्याम लाल पांडेय ने किया। इस अवसर पर समारोह की मुख्य अतिथि जमशेदपुर विमेंस यूनिवर्सिटी की शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष एवं इग्नू की समन्वयक डॉ. त्रिपुरा झा ने कहा कि पुस्तक में बाबा और पोते के संवाद से अभिप्रेरित होकर रचनाये भी है और उन्हें बाबा का कमरा पुस्तक में संकलित किया है। लेखक ने जीवित जल व देश की पहचान गंगा के माध्यम से प्रदूषित होती गंगा की संवेदना, उसकी ममता एवं सूची भाव को अभिव्यक्त कर महिमा का गुणगान करते हुए आज गंगा की स्थिति से किसानों की आत्महत्या का कारण स्पष्ट किया है। हमारा भारत व देश प्रगति के पथ पर जैसी कविता के द्वारा यह बताना चाहते हैं कि भारतीय आध्यात्मिक शक्ति में विश्वास रखता है। छात्राओं का वेश जैसा करियेगा वैसा भरियेगा, बुजुर्गो का सम्मान अंग्रेज बनाने के कारखाने टीवी का कमाल पैतृक धन द्वारा समाज में व्याप्त कुरीतियों, टूटते परिवार, बुजुर्गों की उपेक्षा व वृद्ध आश्रम की ओर संकेत करते हुए करारा व्यंग्य करते हुए टीवी के धारावाहिक सीरियल में महिलाओं का संबंधों का निरादर एवं बाहरी दुनिया में संबंध बनाकर रिश्तो का अनादर को सीधे सरल शब्दों में उकेरा है। संयुक्त राज्य भारत कविता वसुधैव कुटुंबकम की अनेकता में एकता का संदेश संप्रेषित करती है। इसी प्रकार अन्य रचनाओं में जैसे हिंदुस्तान देशभक्ति जैसी कविताओं में सीधे-सीधे पाठक से संवाद है जहां न छंद, न हीं अलंकार बस व्यंग्य है। राक्षसत्व कविता में समाज का संस्कार और शील एवं स्मिता पर जो राक्षसी प्रवृत्ति का आक्रमण है उससे बचने के लिए लिखते हैं।राम तुम्हें आना होगा, राक्षसों का वध करने हेतु। यह पुस्तक सचमुच देशवासियों को दिशा प्रदान करने वाली है। काव्य संग्रह के रचयिता धर्म चंद्र पोद्दार ने पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए अपनी दो प्रमुख रचनाओं का पाठ किया जिसमें अंग्रेज बनाने के कारखाने एवं बाबा का कमरा सम्मिलित हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन संस्था के संरक्षक डॉ. हरि बल्लभ सिंह आरसी के दिया। धन्यवाद ज्ञापन संस्था के विशेष सलाहकार प्रकाश मेहता ने किया।