सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि किसी भी व्यक्ति को, जो अपराध की शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन जाता है, उसके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें एक पुलिस निरीक्षक पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। उक्त निरीक्षक ने 13 लाख रुपये की कथित धोखाधड़ी और गबन की शिकायत दर्ज कराने आए लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया और एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “भारत का प्रत्येक नागरिक जो अपराध की रिपोर्ट करने के लिए पुलिस स्टेशन जाता है, उसे सम्मानपूर्वक व्यवहार करने का अधिकार है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित उसका मौलिक अधिकार है।”
यह फैसला नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिहाज़ से एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि कानून के संरक्षण की मांग करना किसी भी व्यक्ति का अधिकार है, न कि कोई उपकार।