मिरर मीडिया : धनबाद के रानीबांध स्थित मुख्य सड़क का हाल जो अपनी बेहाली का आंसू बहा रहा है। कहने को तो यहाँ सड़क कई मीटर चौड़ी है पर जलजमाव के कारण यह तालाब बन चुकी है। लगातार हो रही बारिश और जल जमाव से सड़क की स्थिति और भी बदहाल हो चुकी है, सड़क पर बड़े गड्ढे बन चुके हैं जिसमें छोटी गाड़ियां अक्सर फंस जा रही है। रानी बांध के पास नारकीय स्थिति को देखकर स्थानियों का हाल बेहाल है।
शहर का व्यस्ततम मार्ग होने के कारण रोजाना हजारों की संख्या में इस सड़क से आवागमन होता है। आलम ये है कि बगल में IIT ISM भी है पर किसी ने इसकी सुध नहीं ली है।जनप्रतिनिधियों ने भी इस पर चुप्पी साध ली है स्वच्छ भारत अभियान के तहत सिर्फ एक दिन अभियान चलाया गया लेकिन नाली के जल जमाव से हो रही समस्याओं पर किसी की नजर नहीं गई।

बता दें कि निकासी नहीं होने के कारण हुए जल जमाव से प्रशासन के खिलाफ स्थानियों में आक्रोश है और वो जमकर जिला प्रशासन को कोस रहे हैं स्थानीयो का कहना है की बरसात से पहले सड़के क्यों नहीं बनाई गई बरसात में ही जिला प्रशासन पहल क्यों कर रही है, निगम केवल टैक्स लेना जानती है स्थानियो की समस्या से उसे कोई लेना देना नहीं।
वहीं इसके विपरीत उपायुक्त ने इस सन्दर्भ में कहा कि बारिश के कारण समस्या हो रही है बारिश के रुकते ही सड़कों की स्थिति दुरुस्त हो जाएगी। जबकि इस गंभीर परिस्थिति में ना तो नगर निगम को चिंता है और ना ही पथ निर्माण विभाग इन सड़को की सुध ले रहा है। पथ निर्माण विभाग की माने तो बिना पानी निकाले सड़क की ढलाई नहीं की जा सकती जबकि नगर निगम की मानें तो यह पथ निर्माण विभाग की जिम्मेवारी है।
लिहाजा सभी अपनी जिम्मेवारियों एक दूसरे पर थोप रहे है। लेकिन सार्थक कार्य कोई नहीं कर रहा है। हालांकि मरम्मती अभी हो या ना हो, या बरसात के बाद हो पर क्या इससे बीच सुरक्षा की जिम्मेवारी भी किसी की नहीं बनती ही कि कार्य कराए जाने से पहले राहगीरों और आने जाने वाले आमजनों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से फिलहाल इस मार्ग पर आवागमन को रोक दिया जाए या मार्ग के दोनों तरफ खतरे के सांकेतिक निशान वाली साइन बोर्ड लगा दिया जाए। जिससे आने संभावित होने वाले खतरे को टाला जा सके।
खैर बता दें कि अक्सर बरसात में यहां पर जलजमाव होती है और लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है लेकिन अधिकारीयो को इसकी कोई परवाह नहीं होती अधिकारी रास्ते बदलकर निकल जाते हैं लेकिन आम आदमी की समस्या पर उन्हें केवल आश्वासन मिलता है।