आज कलशस्थापना – शारदीय नवरात्रि की शुरुआत : मां शैलपुत्री की पूजा विधि और आराधना के साथ

KK Sagar
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वर्ष 2024 की शारदीय नवरात्रि आज से पूरे विधि विधान के साथ शुरू की जा रही है। नवरात्रि के पहले दिन माता आदि शक्ति जगत जननी जगदम्बा का प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दिन कलश स्थापना करके मां शैलपुत्री की तस्वीर या मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद देवी शैलपुत्री को अक्षत्, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाए जाते हैं। पूजा के समय मंत्र पढ़कर भोग लगाया जाता है और उसके बाद उनकी आरती की जाती है।

पर्वता राज हिमालय के घर जन्म लेने से नाम पड़ा शैलपुत्री

मां शैलपुत्री भगवान शिव की पत्नी पार्वती का पहला रूप हैं। उनका जन्म पर्वता राज हिमालय के घर हुआ था। इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। मां शैलपुत्री का विवाह भगवान शिव से हुआ था। वह गौरवर्ण वाली, हाथ में त्रिशूल, कमल का फूल धारण करने वाली और बैल पर सवार होती हैं। मां शैलपुत्री के मुख पर कांतिमय तेज झलकता है। वह बाएं हाथ में कमल पुष्प और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं। मां शैलपुत्री की सवारी वृषभ है।

मां शैलपुत्री की पूजा से स्थिरता, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता, सुख-समृद्धि और आरोग्य प्राप्त होता है। मां शैलपुत्री की विधिवत आराधना से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और घर में खुशहाली आती है। इनकी आराधना करने से मूलाधार चक्र जागृत होते हैं जो अत्यन्त शुभ होता है। साथ ही नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से चन्द्रमा से जुड़े सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व और विधि

मां शैलपुत्री भगवान शिव की पत्नी पार्वती का पहला रूप हैं। उनका जन्म पर्वता राज हिमालय के घर हुआ था। इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। मां शैलपुत्री का विवाह भगवान शिव से हुआ था।

हाथ में त्रिशूल, कमल का फूल धारण करने वाली मां शैलपुत्री को पसंद है गुड़हल फूल

मां शैलपुत्री को गुड़हल और कनेर का फूल बहुत प्रिय है। पूजा के समय ये फूल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां शैलपुत्री गौरवर्ण वाली, हाथ में त्रिशूल, कमल का फूल धारण करने वाली और बैल पर सवार होती हैं। मां शैलपुत्री के मुख पर कांतिमय तेज झलकता है। मां शैलपुत्री बाएं हाथ में कमल पुष्प और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं। मां शैलपुत्री की सवारी वृषभ है।

पूजा विधि

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यहां पूजा विधि दी गई है:

1. कलश स्थापना करें।
2. मां शैलपुत्री की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
3. देवी शैलपुत्री को अक्षत्, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं।
4. पूजा के समय मंत्र पढ़ें और भोग लगाएं।
5. उसके बाद उनकी आरती करें।

इस मंत्र से माँ को करें प्रसन्न

मंत्रों में “ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः”, “वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्” और “ह्रीं शिवायै नम:” शामिल हैं।

माता को अर्पित किया जाने वाला भोग

मां शैलपुत्री को गाय के दूध से बनी खीर या कोई सफेद मिठाई का भोग लगाया जा सकता है। गाय के घी का भी भोग लगाया जा सकता है।

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