मिरर मीडिया : देशभर में बड़ी ही धूमधाम से मां दुर्गा की अलग–अलग रूपो की पूजा कि जा रही है । प्रतिवर्ष आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का चंद्रघंटा स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी है। इसके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। इसी के कारण इन्हें चंद्रघंटा
कहा जाता है।
चंद्रघंटा मां का शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला और वाहन सिंह है। देवी के दस हाथ माने जाते हैं जिसमें वह कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि शस्त्र लिए हुए हैं। इनके कंठ में श्वेत पुष्प की माला और शीर्ष पर रत्नजड़ित मुकुट विराजमान है। माता चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में विराजमान रहती हैं।
ऐसी मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करने से घर में सुख –समृद्धि आती हैं और घर पर आने वाली सभी बाधाओं को मां हर लेती है ।