शीर्ष नक्सली कमांडर हिडमा ढेर: आंध्र–छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई, पत्नी भी मुठभेड़ में मारी गई

KK Sagar
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आंध्र प्रदेश–छत्तीसगढ़ सीमा पर मंगलवार को सुरक्षाबलों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी। घने जंगलों में हुए मुठभेड़ में देश के सबसे ख़तरनाक और वांछित नक्सली शीर्ष कमांडर मादवी हिडमा और उसकी पत्नी मारे गए। दोनों को गोली लगने के बाद घटनास्थल पर ही मौत हो गई। यह कार्रवाई सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट के आधार पर चलाए गए विशेष ऑपरेशन का हिस्सा थी।


🔹 मुठभेड़ कैसे शुरू हुई?

आंध्र प्रदेश के अल्लूरी और छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की सीमा पर सुरक्षाबलों ने माओवादियों की मौजूदगी की सूचना पर सर्च अभियान चलाया था।
इसी दौरान नक्सलियों ने अचानक जवानों पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और भारी गोलीबारी में हिडमा और उसकी पत्नी ढेर हो गए।


🔹 कौन था हिडमा? दो दशक से सुरक्षा बलों का सिरदर्द

उम्र: 43 वर्ष

जन्म: 1981, पुवर्ती, सुकमा (छत्तीसगढ़)

PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) बटालियन नंबर 1 का प्रमुख

CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सबसे कम उम्र का सदस्य

जंगलों में गुरिल्ला युद्ध, रणनीति बनाने और हमलों को अंजाम देने की क्षमता ने उसे संगठन का सबसे प्रभावशाली और खतरनाक चेहरा बना दिया था।


🔹 खूनी इतिहास: 26 बड़े हमलों का मास्टरमाइंड

हिडमा कई बड़े नक्सली हमलों का मुख्य साजिशकर्ता था—

2013 दरभा घाटी नरसंहार: कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की हत्या

2017 सुकमा हमला: CRPF के 25 जवान शहीद

26 से अधिक नक्सली हमलों की योजना और नेतृत्व

उस पर था 1 करोड़ रुपये का इनाम


🔹 पत्नी भी थी नक्सली संगठन की सक्रिय सदस्य

मुठभेड़ में मारी गई उसकी पत्नी भी लंबे समय से संगठन में सक्रिय थी और कई ऑपरेशनों में उसकी अहम भूमिका रहती थी। दोनों एक ही ठिकाने पर छिपे हुए थे, जहां सुरक्षाबलों ने उन्हें घेर लिया।


🔹 ऑपरेशन को बड़ी सफलता मान रही सुरक्षा एजेंसियाँ

अधिकारियों के अनुसार, हिडमा का मारा जाना नक्सल संगठन के लिए गहरा झटका है।

दक्षिण बस्तर में माओवादियों की रणनीति का मुख्य सूत्रधार

नए कैडर की भर्ती और हमलों की योजना का जिम्मेदार

जंगलों में नेटवर्क मजबूत रखने का सबसे बड़ा केंद्र

उसकी मौत के बाद माओवादी गतिविधियों पर नियंत्रण और आसान हो सकता है।

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