संवाददाता, मिरर मीडिया: अमेरिका के न्यू जर्सी सहित 15 से अधिक प्रांतों ने मंगलवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश को अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है, जो जन्म के आधार पर मिलने वाली नागरिकता की संवैधानिक गारंटी को खत्म करने से संबंधित है। राष्ट्रपति बनने के अगले ही दिन ट्रंप ने यह आदेश जारी किया, जिससे पूरे देश में बहस छिड़ गई है।
डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल ने संभाला मोर्चा
न्यू जर्सी के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल मैट प्लैटकिन ने कहा कि वह इस आदेश को रोकने के लिए 18 प्रांतों, ‘डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया’ और सैन फ्रांसिस्को जैसे शहरों के साथ मिलकर मुकदमे का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति के पास अधिकार हैं, लेकिन उनकी शक्तियां असीमित नहीं हो सकतीं।”
संविधान के 14वें संशोधन पर उठे सवाल
ट्रंप का यह आदेश अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों को स्वतः नागरिकता देने की नीति को खत्म कर सकता है। चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने घोषणा की थी कि वह राष्ट्रपति बनने पर इस नीति में बदलाव करेंगे। वहीं, प्रवासी अधिकार संगठनों और विशेषज्ञों ने 14वें संशोधन का हवाला देते हुए इस फैसले को असंवैधानिक करार दिया है।
भारतीयों पर पड़ सकता है असर
इस आदेश के तहत, यदि नवजात के माता-पिता में से कोई भी अमेरिकी नागरिक या ग्रीन कार्ड धारक नहीं है, तो बच्चे को अमेरिकी नागरिकता नहीं दी जाएगी। यह नियम 20 फरवरी से लागू किया जाना है। इससे अमेरिका में अस्थाई वर्क वीजा (एच-1बी, एल1), डिपेंडेंट वीजा (एच4), स्टडी वीजा (एफ1) और टूरिस्ट वीजा (बी1, बी2) पर रहने वाले हजारों भारतीय परिवार प्रभावित हो सकते हैं।
हालांकि, इस विवादित आदेश को अदालत में चुनौती दी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत अगले 30 दिनों में इस आदेश पर रोक लगा देती है, तो यह लागू नहीं हो पाएगा। राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले से जुड़ी कानूनी लड़ाई अमेरिका की राजनीति और प्रवासी नीतियों के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है।