तुर्की, पाकिस्तान और गाजा की अर्थव्यवस्थाएं तबाही की कगार पर – भारत की रणनीति का असर?

KK Sagar
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भारत-पाकिस्तान तनाव के बाद तुर्किये ने पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर समर्थन जताया, जिसके बाद भारत में तुर्किये के उत्पादों के खिलाफ बायकॉट अभियान शुरू हो गया। यह अभियान ज़ी न्यूज़ की अगुवाई में तेजी से फैल रहा है और इसका असर तुर्किये की पहले से डगमगाती अर्थव्यवस्था पर साफ़ दिखाई दे रहा है।

तुर्किये में रिकॉर्ड तोड़ महंगाई

वर्तमान में तुर्किये अपने इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है।

महंगाई दर 38% तक पहुंच गई है।

यूरोप में यह सबसे ज्यादा है, जबकि दुनिया में तुर्किये छठे स्थान पर है।

इसके मुकाबले भारत में महंगाई दर केवल 3.16% है – यानी तुर्किये में महंगाई भारत से लगभग 12 गुना अधिक है।

तुर्किये की करेंसी लीरा में भारी गिरावट के चलते देश में जीवन यापन बेहद मुश्किल हो गया है।

भारत की तुलना में तुर्किये में रहने का खर्च 96.9% ज्यादा है।

जबकि किराए के मामले में यह 203.5% अधिक है।

भारत-तुर्किये व्यापार पर असर

2023-24 में भारत और तुर्किये के बीच कुल ₹88,655 करोड़ का व्यापार हुआ था।
अगर बायकॉट अभियान के चलते यह व्यापार घटता है, तो तुर्किये को दोहरा झटका लगेगा:

  1. आय में भारी गिरावट
  2. भारत से उत्पादों का आयात घटने से स्थानीय कीमतों में और बढ़ोतरी

गाजा का उदाहरण – जब नाकेबंदी से भूख का संकट गहराया

इज़राइल द्वारा गाजा पर की जा रही नाकेबंदी के चलते वहां महंगाई ने भयावह रूप ले लिया है:

1 किलो चीनी: ₹83 से बढ़कर ₹833

1 किलो चावल: ₹125 से ₹1800+

आधा किलो पनीर: ₹250 से ₹2083

1 दर्जन अंडे: ₹250 से ₹3583

1 किलो आटा: ₹500 से ₹7000

WHO के मुताबिक गाजा में 21 लाख लोग भोजन की किल्लत से जूझ रहे हैं, जिनमें से 5 लाख की स्थिति बेहद चिंताजनक है।

क्या पाकिस्तान बन रहा है अगला गाजा?

भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार अब पूरी तरह से बंद हो चुका है। भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ रणनीतिक नाकेबंदी की तुलना गाजा से की जा रही है। पाकिस्तान में भी महंगाई चरम पर है:

टमाटर: ₹200/kg

भिंडी/शिमला मिर्च: ₹400/kg

अदरक: ₹700/kg

लहसुन: ₹800/kg

करेला: ₹500/kg

इस स्थिति को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि महंगाई में तुर्किये, पाकिस्तान और गाजा – तीनों भाई-भाई बन गए हैं।

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