
देश: उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को इतिहास रच दिया। दो दिनों में लगभग 10 घंटे लंबी चली चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ।
इसके साथ ही स्वतंत्र भारत में उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने संविधान निर्माताओं के समान नागरिक संहिता के लिए देखे गए स्वप्न को धरातल पर उतारने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ाए हैं।
मालूम हो कि गोवा में समान नागरिक संहिता पुर्तगाली शासन से लागू है। यह पारित विधेयक राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ हो कानून बन जाएगा। इसमें सभी धर्म समुदायों की महिलाओं को विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, संपत्ति में समान अधिकार देते हुए सशक्त बनाया गया है। बहु विवाह और बाल विवाह को प्रतिबंधित किया गया है।
वहीं , विपक्षी दलों कांग्रेस और बसपा की ओर से विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव सदन में ध्वनि मत से गिर गया। चर्चा के दौरान सत्तापक्ष भाजपा ने प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को सीधे निशाने पर लिया, लेकिन पलटवार में कांग्रेस ने आक्रामक होने के स्थान पर शांत रहने की रणनीति अपनाई ।
बता दें कि मंगलवार को समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024 विधेयक सदन के पटल पर रखा गया था।
इन प्रावधानों में होगा परिवर्तन
- विवाह का पंजीकरण अनिवार्य । पंजीकरण न होने पर सरकारी सुविधाओं से होना पड़ सकता है वचित।
- पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह पूरी तरह प्रतिबंधित ।
- सभी धर्मों में विवाह की न्यूनतम उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लडकियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित ।
- वैवाहिक दंपती में यदि कोई एक व्यक्ति बिना दूसरे पक्ष की सहमति के अपना मत परिवर्तन करता है तो दूसरे पक्ष को उससे तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का पूरा अधिकार होगा।
- पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पाच वर्ष तक का बच्चा माता के पास रहेगा।
- सभी धर्मों में पति और पत्नी को तलाक लेने का समान अधिकार ।
- मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत पर रोक ।
- सभी धर्म-समुदायों में सभी वर्गों के लिए बेटे-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार।