संसद में 10 घंटे तक गूंजा ‘वंदे मातरम्’ — इतिहास, राजनीति और विचारधारा पर तीखी टक्कर

KK Sagar
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नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर 10 घंटे की विशेष बहस हुई, जिसने सदन को पूरी तरह राजनीतिक और वैचारिक टकराव के केंद्र में ला दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहस की शुरुआत करते हुए वंदे मातरम् को स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा और “भारत की आत्मा” बताया। उन्होंने कहा कि यह गीत भारतीय एकता, बलिदान और देशभक्ति की परिभाषा है और राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है।

🔹 बहस की रूप-रेखा

बहस के लिए लोकसभा में 10 घंटे और उसके बाद राज्यसभा में विस्तारित सत्र तय किया गया है।

अगला चरण राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुरू करेंगे।

बहस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दूसरे मुख्य वक्ता रहे, जिन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल गीत नहीं बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता की पहचान है।

🔹 सियासी गर्माहट और विवाद

बहस की दिशा उस समय और तीव्र हो गई जब प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि 1937 में कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम् के कुछ छंद हटाए, जिससे “विभाजन का बीज बोया गया”।
इस बयान पर विपक्ष की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया हुई।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा वंदे मातरम् की विरासत को सम्मान दिया है और भाजपा इतिहास को राजनीतिक रंग दे रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि गीत पर बहस राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से होनी चाहिए, न कि राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए।

दिल्ली की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा भी बहस में शामिल होंगी और उनका संबोधन शाम 4 बजे तय है। विपक्ष का दावा है कि बहस का उद्देश्य कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करना है, जबकि सरकार ने इसे राष्ट्रभावना और इतिहास के सम्मान से जोड़ा।

🔹 आगे की संभावनाएँ

सरकार का कहना है कि यह बहस वंदे मातरम् के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रनिर्माण संबंधी योगदान को फिर से स्थापित करने के लिए है।
वहीं विपक्ष का आरोप है कि इस चर्चा के ज़रिए राजनीतिक एजेंडा स्थापित करना और स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास की “पुनर्व्याख्या” करना लक्ष्य है।

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