पश्चिम बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतदाता सूची में बड़ा बदलाव सामने आया है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के अनुसार राज्य से करीब 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जिससे कुल मतदाता संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पहले जहां राज्य में लगभग 7.66 करोड़ मतदाता थे, वहीं संशोधन के बाद यह संख्या घटकर करीब 7.08 करोड़ रह गई है। आयोग के अनुसार नाम हटाए जाने के पीछे मृत्यु, स्थायी पता न मिलना, दूसरे राज्य में स्थानांतरण, डुप्लीकेट एंट्री और अपात्रता जैसे कारण शामिल हैं।
कोलकाता में इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिला है, जहां कई विधानसभा क्षेत्रों में 20 से 25 फीसदी तक मतदाताओं के नाम सूची से बाहर हो गए हैं। खासतौर पर कोलकाता पोर्ट, भवानिपुर, चौरींगही और आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने से आगामी चुनावों का चुनावी गणित पूरी तरह बदलने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिन मतदाताओं के नाम हटे हैं, वे दावा और आपत्ति की प्रक्रिया के तहत निर्धारित समय सीमा में आवेदन कर अपना नाम दोबारा जुड़वा सकते हैं, जिसके बाद अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी।
इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक हलकों में भी बहस तेज हो गई है। जहां कुछ दल इसे मतदाता सूची को शुद्ध करने की प्रक्रिया बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र को प्रभावित करने वाला कदम करार दे रहा है।

