13 घंटे की बहस के बाद कानून बनने की अंतिम सीढ़ी पर वक्फ संशोधन विधेयक : राज्यसभा से भी पारित अब राष्ट्रपति की मंजूरी की देर

KK Sagar
5 Min Read


मोदी सरकार के लिए वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (Waqf Amendment Bill 2025) को संसद से पारित कराना एक बड़ी राजनीतिक और विधायी जीत मानी जा रही है। गुरुवार को लोकसभा से पारित होने के बाद शुक्रवार तड़के राज्यसभा में भी यह विधेयक बहुमत से पारित हो गया। इसके साथ ही अब यह बिल कानून बनने की अंतिम सीढ़ी पर पहुंच गया है—बस राष्ट्रपति की मंजूरी बाकी है।

राज्यसभा में मैराथन बहस और मोदी सरकार की जीत

राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा 13 घंटे से अधिक चली। चर्चा की शुरुआत गुरुवार को दोपहर 1 बजे हुई और अंत हुआ शुक्रवार तड़के 2:32 बजे। इस दौरान विपक्ष ने बिल पर तीखा विरोध दर्ज किया और इसे मुस्लिम विरोधी और असंवैधानिक बताया, लेकिन वोटिंग में मोदी सरकार बाज़ी मार गई।

राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल के पक्ष में 128 मत पड़े, जबकि 95 सदस्यों ने विरोध में मतदान किया। इससे पहले लोकसभा में यह बिल 288 मतों से पास हुआ था, जबकि 232 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया था। लोकसभा में भी इस पर 10 घंटे लंबी बहस हुई थी।

विपक्ष का आरोप: मुसलमानों की संपत्तियों पर हमला

INDIA गठबंधन और अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लेकर गंभीर आपत्तियाँ जताईं। उनका आरोप था कि यह कानून मुसलमानों की वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने और उन्हें निजी निगमों को सौंपने का रास्ता खोलता है। विपक्ष ने इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना है।

सरकार का पक्ष: सभी के लिए सुधार, कोई नुकसान नहीं

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष मुस्लिम समुदाय को इस बिल से डराने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष सोच पर आधारित है और इससे किसी भी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

रिजिजू ने बताया कि इस विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) और हितधारकों के सुझावों को शामिल किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक संस्था है और इसमें कुछ गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने से फैसलों में संतुलन और पारदर्शिता बढ़ेगी। नया प्रावधान यह भी है कि 22 सदस्यीय सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।

सभापति का रात में मौजूद रहना बना चर्चा का विषय

वोटिंग के दौरान एक दिलचस्प वाकया तब सामने आया जब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ देर रात आसन पर बैठे दिखाई दिए। विपक्षी सदस्य यह देखकर चकित रह गए। इस पर धनखड़ ने जवाब दिया कि वे अपने संवैधानिक अधिकार के तहत वोटिंग के लिए उपस्थित हैं। जब ट्रेज़री बेंच से कहा गया कि शायद आपकी वोटिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी, तो उन्होंने मुस्कराते हुए कहा, “दूर-दूर तक जरूरत नहीं है।”

मुस्लिम वक्फ (रिपील) विधेयक भी पास

वक्फ संशोधन विधेयक के साथ-साथ संसद ने मुस्लिम वक्फ (रिपील) बिल, 2025 को भी मंजूरी दे दी है। यह बिल पुराने वक्फ कानूनों को निरस्त करने और नई व्यवस्था लागू करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। अब दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उनकी स्वीकृति के बाद ये कानून का रूप ले लेंगे।

निष्कर्ष: ऐतिहासिक विधेयक, गूंजता रहेगा असर

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर चल रही बहस और वोटिंग ने यह साबित कर दिया कि मोदी सरकार संख्या बल और रणनीति दोनों में विपक्ष से आगे है। यह विधेयक अल्पसंख्यक मामलों की दिशा में सरकार की नई नीति का संकेत देता है, जो पारदर्शिता और समावेशिता पर जोर देने का दावा कर रही है। आने वाले समय में इसका सामाजिक और राजनीतिक असर गहरा हो सकता है।

Share This Article
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....