हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व इस बार 30 अप्रैल 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। इसे उत्तर भारत में आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन अत्यंत शुभ और फलदायी होता है। इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कभी नष्ट नहीं होता, इसीलिए इसे अक्षय (यानी नाश न होने वाला) कहा जाता है।
तिथि व शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025, शाम 5:29 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025, दोपहर 2:12 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: 30 अप्रैल को सुबह 6:07 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक
सोना खरीदने का शुभ समय: 29 अप्रैल, सुबह 5:33 बजे से 30 अप्रैल, रात 2:50 बजे तक
अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त माना जाता है, इसलिए इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, नया व्यवसाय, वाहन खरीदना आदि कार्य बिना किसी ज्योतिषीय सलाह के किए जा सकते हैं।
धार्मिक महत्व
भगवान परशुराम का जन्म इसी दिन हुआ था, इसलिए इसे परशुराम जयंती भी कहा जाता है।
महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन पांडवों को अक्षय पात्र प्रदान किया था, जिससे उन्हें कभी भोजन की कमी नहीं हुई।
सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ भी इसी तिथि को माना जाता है।
जैन धर्म में यह दिन अत्यंत पवित्र माना गया है क्योंकि इसी दिन भगवान ऋषभदेव ने एक वर्ष का उपवास समाप्त कर पहला आहार (गन्ने का रस) ग्रहण किया था।
पूजा विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो, तो पवित्र नदी में स्नान करें।
- घर और पूजा स्थल को साफ करें। एक साफ स्थान पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- साथ में भगवान गणेश और कुबेर की मूर्तियाँ भी रखें।
- मूर्तियों पर गंगाजल छिड़कें, चंदन और कुमकुम का तिलक करें।
- पीले फूल, कमल, अक्षत, दूर्वा घास, सुपारी, पान के पत्ते, नारियल अर्पित करें।
- भगवान को फल, मिठाई, जौ या गेहूँ का सत्तू, ककड़ी, और चने की दाल का भोग लगाएं। भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें।
- विष्णु सहस्रनाम, लक्ष्मी स्तोत्र, कुबेर चालीसा का पाठ करें और घी का दीपक जलाकर आरती करें।
- अंत में भोग को सभी परिवारजनों और जरूरतमंदों में बाँट दें।
क्यों खरीदा जाता है सोना?
अक्षय तृतीया के दिन सोना, चांदी, भूमि या संपत्ति खरीदना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह समृद्धि और स्थायित्व का प्रतीक होता है। इस दिन की गई कोई भी खरीदारी भविष्य में अक्षय फल प्रदान करती है। यदि सोना खरीदना संभव न हो, तो आप तुलसी का पौधा, पीतल के बर्तन, अन्न, वस्त्र या धार्मिक पुस्तकें भी खरीद सकते हैं।
पुण्य और दान का महत्त्व
इस दिन जल, अन्न, वस्त्र, स्वर्ण, भूमि, गाय आदि का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। विशेष रूप से गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना अक्षय फल देने वाला होता है।