डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: करोना के बाद दुनिया भर में तेजी से बढ़ते मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन( WHO ) ने इस वायरस को लेकर ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है।
कांगो से शुरू होकर पाकिस्तान तक पहुंचा वायरस
कांगो से शुरू हुई ये बीमारी कई अफ्रीकी देशों से होते हुए यूरोप के देश स्वीडन और भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान तक पहुंच चुकी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने की समीक्षा बैठक
वहीं,खतरे की संभावना को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को इसे लेकर समीक्षा बैठक की। भारत के लिए ये बीमारी कितनी बड़ी चिंता है, इसका क्या इलाज है और हमें बचाव को लेकर चर्चा की गई।
कोविड की तरह ही फैलता है मंकीपॉक्स
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक एमपॉक्स या मंकीपॉक्स भी कोविड की तरह ही वायरस से फैलने वाली बीमारी है। ये बीमारी भी संक्रामक है। इससे दर्दनाक दाने, बढ़े हुए लिम्फ नोड्स और बुखार हो सकता है। हालांकि ये बीमारी कोविड की तरह संक्रामक और जानलेवा नहीं है।
यह है लक्षण
संक्रमित व्यक्ति को हल्का बुखार महसूस होगा। इसमें फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, शरीर पर दर्दनाक दाने, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, कमजोरी महसूस होना और बढ़े हुए लिम्फ नोड्स और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो सकते हैं। ये लक्षण 2 से 4 सप्ताह तक रह सकते हैं।
1958 में मंकीपॉक्स वायरस की हुई खोज
मंकीपॉक्स वायरस की खोज 1958 में हुई थी। शोध के लिए रखे गए बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के प्रकोप के रूप में इस बीमारी के वायरस की पहचान हुई थी। मूल रूप से “मंकीपॉक्स” नाम दिए जाने के बावजूद, इस बीमारी का स्रोत अज्ञात है। एमपॉक्स का पहला संक्रमित इंसान 1970 में रिपोर्ट किया गया। ये मामला कांगो में पाया गया। 2022 में, एमपॉक्स दुनिया भर में फैला था।
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