भविष्य बनाने वाले स्कूल का भविष्य ही जब अंधकार में तो बच्चों का कैसे बन सकता है उज्जवल भविष्य
मिरर मीडिया धनबाद : भविष्य बनाने वाले स्कूल का भविष्य ही जब अंधकार में हो तो वे बच्चों का उज्जवल भविष्य कैसे बना सकता है? एक स्कूल जहाँ अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ एक सफल व्यक्तित्व के लिए भेजते हैं इसके लिए मेहनत की एक मोटी रकम भी स्कूल को देते हैं पर जब ये पता चले कि बच्चे का भविष्य अंधकारमय है पैसा तो गया ही पर सबसे किमती समय चला गया तो अभिभावक और बच्चें ठगा सा महसूस करता है सारा व्यर्थ समझने लगते हैं। हम बात कर रहें हैं बड्स गार्डन स्कूल की।

जी हाँ ये वही स्कूल है जिसकी मान्यता फर्जी है जिसने बच्चों के भविष्य के साथ साथ माँ बाप के सपनो को भी तोड़ कर अंधकार में फेंक दिया है। पर सवाल ये उठता है कि इसका जिम्मेवार कौन?? सिस्टम या सिस्टम में बैठे वैसे पदाधिकारी जिन्हें इस काम का जिम्मा सौंपा गया है कि वे जिले में चल रहें वैध और अवैध की पहचान कर अवैध तरीके से संचालन हो रहें सभी शैक्षणिक संस्थान पर नकेल कसते हुए उसपर तत्काल कार्रवाई करें क्यूंकि कई बच्चें उस संस्थान में अध्ययन कर चुके है और कर रहें है जिनका पूरा भविष्य उनसे जुड़ा है। पर अफ़सोस पदाधिकारी गौण और मौन रहते हैं। कोई दरवाजा खटखटाए तभी नींद टूटती है। इस व्यवस्था से आलम ये है कि अगर पदाधिकारी सजग और सतर्क रहते हुए जिले के संचालित स्कूलों का सारा रिकॉर्ड रखते तो आज ये नौबत ही ना आती।
आपको बता दें कि फिलहाल बड्स गार्डन स्कूल में 1000 से भी अधिक बच्चे अध्ययन कर रहे हैं साथ ही इससे पहले पास हुए बच्चे को फर्जी मान्यता कह कर अगर संबंधित कॉलेज या अन्य संस्थान से नामांकन रद्द कर दिया जाएगा तो क्या होगा? इसी संदर्भ में समाजसेवी कुमार मधुरेंद्र ने भी सम्बंधित विभाग को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इस गंभीर विषय पर सभी विचार करें. खासकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी अनुरोध है क्यूंकि अगर कार्यालय छोड़कर कोई भी अधिकारी कभी स्वत: जांच पड़ताल करते रहे तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।
गौरतलब है कि फर्जी एनओसी मामले में बड्स गार्डन स्कूल ने अपना जवाब जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में जमा कर दिया है। पूरे मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस ने कहा कि स्कूल द्वारा दिए गए जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि स्कूल के पास मान्यता नहीं है, एवं उनके द्वारा दिया गया एनओसी फर्जी है। ज्ञात रहें कि मामला राजगंज स्थित बड्स गार्डन स्कूल के फर्जी एनओसी के प्रकाश में आने के बाद माध्यमिक शिक्षा निर्देशक ने उपायुक्त को पत्र लिख पूरे मामले पर जांच करने का आग्रह किया था। जिसके बाद उपायुक्त ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को जांच के निर्देश दिए थे। मामले को संज्ञान में लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस ने पत्राचार कर बड्स गार्डन स्कूल से जवाब तलब किया था। जिसके बाद सकूल में अपना पक्ष रखा है और यह बात स्वीकार की है कि स्कूल के पास एनओसी फर्जी है साथ ही स्कूल ने अपनी गलती स्वीकारते हुए माफी मांगी है।
इसके इतर अब एनओसी फर्जी होने के बाद 2012 से अभी तक स्कूल की हर गतिविधियां पर भी सवाल खड़ा होना लाजमी है साथ ही छात्रों के भविष्य को लेकर भी संशय की स्थिति बन सकती है। हालांकि अब स्कूल के पास किसी प्रकार की कोई मान्यता नहीं है। बहरहाल इसके बाद विभाग क्या रुख अपनाता है और स्कूल पर किस प्रकार की कार्यवाही होती है साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात कि बच्चों से जुड़ा है कि उनके भविष्य को लेकर भी विभाग और स्कूल क्या करती है यह देखने वाली बात है।
बता दें कि इससे पहले भी आरटीई के तहत 97 विद्यालयों द्वारा प्राप्त आवेदन के बाद सिर्फ 34 विद्यालय को ही मान्यता मिली थी एवम शेष 63 विद्यालयों के आवेदन को अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत अयोग्य पाते हुए निरस्त कर दिया गया था लेकिन जिन 34 विद्यालयों को मान्यता मिले थे उस पर भी प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन एवं झारखंड अभिभावक महासंघ ने सवाल खड़े किए थे मगर अभी तक विभाग द्वारा किसी प्रकार की कोई जांच नहीं की गई हालांकि मामले में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने संज्ञान लेते हुए शिक्षा सचिव, झारखण्ड के नाम पत्र जारी कर निजी विद्यालयों के ऊपर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए थे।