“कांग्रेस को ग़ुस्सा क्यों आता है?” — सांसद निशिकांत दुबे का बड़ा हमला, राजीव गांधी और अमेरिका की ‘सीक्रेट डील’ पर उठाए गंभीर सवाल

KK Sagar
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गोड्डा (झारखंड): भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने एक बार फिर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। इस बार उनका निशाना है पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के बीच हुई एक गुप्त बातचीत, जिसका दस्तावेज़ हाल ही में सार्वजनिक हुआ है।

दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पुराना गोपनीय अमेरिकी पत्र साझा करते हुए लिखा:

“कांग्रेस को ग़ुस्सा क्यों आता है?
जब इस पेपर को हमने देखा तो मुझे आत्मग्लानि हुई।
अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने यह पत्र तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी को भेजा था।

  1. अमेरिकी दबाव में हम पाकिस्तानी राष्ट्रपति जिया उल हक़ से बात कर रहे थे।
  2. बातचीत का एजेंडा अमेरिका ने तय किया।
  3. पाकिस्तान और भारत ने 1988 में जो न्यूक्लियर डील की, वह भी अमेरिकी दबाव का नतीजा थी।
  4. अफ़ग़ानिस्तान मुद्दे पर भी हमने सोवियत रूस से जो भी कहा, वह अमेरिकी एजेंडा था।
    क्या यही शिमला समझौता है? क्या यही आयरन लेडी की परिभाषा है? क्या हम उस समय स्वतंत्र राष्ट्र थे?
    मोदी जी को गाली देना क्या भारत को मज़बूत बनाने की सज़ा है?”

क्या है इस दस्तावेज़ में?

दस्तावेज़ एक ‘सीक्रेट टेलीग्राम’ है, जिसे अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रॉनल्ड रीगन ने 15 दिसंबर 1985 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भेजा था। इसमें कहा गया है:

अमेरिका दक्षिण एशिया में शांति चाहता है और भारत-पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्तों के लिए भारत की भूमिका की सराहना करता है।

परमाणु हथियारों के मुद्दे पर अमेरिका चाहता था कि भारत पाकिस्तान से संवाद करे और यह एजेंडा अमेरिका द्वारा सेट किया गया था।

अमेरिका ने माना कि राजीव गांधी की नेतृत्व क्षमता ने भारत को शांति का दूत बनाया, लेकिन साथ ही अमेरिका का दबाव भी साफ झलकता है।

अफ़ग़ानिस्तान मुद्दे पर अमेरिका ने कहा कि सोवियत सेना की वापसी और शांति के लिए भारत को भी ‘गैर-तटस्थ मध्यस्थ’ के तौर पर खड़ा होना चाहिए।

राजनीतिक हलकों में हलचल

निशिकांत दुबे के इस खुलासे के बाद कांग्रेस पर राजनीतिक दबाव बढ़ सकता है। दुबे का दावा है कि:

भारत की विदेश नीति उस समय पूरी तरह अमेरिकी प्रभाव में थी।

भारत ने पाकिस्तान के साथ परमाणु समझौता भी अमेरिका के इशारे पर किया।

शिमला समझौते और इंदिरा गांधी की ‘आयरन लेडी’ की छवि को अब सवालों के घेरे में देखा जाना चाहिए।

मोदी सरकार बनाम कांग्रेस: कौन राष्ट्रहित में खड़ा?

निशिकांत दुबे ने अपने पोस्ट के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की तुलना करते हुए कहा:

“मोदी जी को गाली इसलिए दी जा रही है क्योंकि वो भारत को मज़बूत बना रहे हैं। कांग्रेस को भारत की मजबूती से ग़ुस्सा क्यों आता है?”

निष्कर्ष:

राजनीति में ऐसे दस्तावेज़ अक्सर बड़े बदलाव लाते हैं। यह पत्र एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण पेश करता है कि किस तरह भारत की विदेश नीति पर अमेरिका का प्रभाव रहा है। निशिकांत दुबे की पोस्ट ने इस मुद्दे को एक नई बहस का विषय बना दिया है — क्या कांग्रेस की विदेश नीति पूरी तरह स्वतंत्र थी? या फिर वह अमेरिकी दिशा में चल रही थी?

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