डिजिटल डेस्क । मिरर मीडिया: वक्फ संशोधन बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है। वक्फ संशोधन बिल को पास कराना बीजेपी के लिए एक बड़ी अग्निपरीक्षा थी। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों ने सरकार का साथ दिया। सबसे ज्यादा चर्चा नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी को लेकर थी। सभी के मन में सवाल था कि क्या वो वक्फ संशोधन बिल का सपोर्ट करेंगे? आखिरकार दोनों ही पार्टियों ने बिल पेश होने से पहले वक्फ बिल के समर्थन का ऐलान कर दिया था। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि बिल के समर्थन के पीछे की वजह क्या है?
एनडीए के सहयोगियों पर दबाव बनाने की कोशिश नाकाम
वक्फ संसोधन बिल 2025 को संसद से पास कराना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं था। बिल पास कराने में बड़ी अड़चन थी। मुस्लिमों से जुड़ा बिल होने के चलते मिल्ली तंजीमों और विपक्षी दलों ने बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए के सहयोगी दलों पर दबाव बनाने की कवायद सड़क से संसद तक की। रमजान के महीने में मुस्लिम संगठन ने बीजेपी के सहयोगी दलों की रोजा इफ्तार पार्टी का बॉयकाट तक करके दबाव बनाने की कोशिश की। इसके अलावा बिहार और आंध्र प्रदेश में बड़ी जनसभाएं करके भी प्रेशर पॉलिटिक्स करने की स्ट्रैटेजी अपनाई। लेकिन बीजेपी के सहयोगी खासकर नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू टस से मस नहीं हुए।
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जेडीडू-टीडीपी ने नहीं की मुस्लिम वोट बैंक की परवाह
बीजेपी के नीतीश और नायडू ने मुस्लिम वोटबैंक की परवाह किए बगैर वक्फ संशोधन बिल पर मोदी सरकार के साथ मजबूती से खड़ी रही। शायद नीतीश और नायडू को भरोसा है कि मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण उनके खिलाफ उतना प्रभावी नहीं होगा। बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 17% है और आंध्र प्रदेश में यह 9% से अधिक है। दोनों राज्यों में मुस्लिम वोट चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। फिर भी, दोनों नेताओं ने बिल का समर्थन किया, जिससे लगता है कि वे इस जोखिम को उठाने को तैयार थे।
बीजेपी के साथ का भरोसा
बिहार में नीतीश का मुकाबला तेजस्वी यादव की आरजेडी से है, जो मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण पर निर्भर है। नीतीश शायद मानते हैं कि उनका विकास का ट्रैक रिकॉर्ड और बीजेपी के साथ गठबंधन उन्हें गैर-मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा दिलाएगा, जो मुस्लिम वोटों के नुकसान की भरपाई कर देगा। नायडू के लिए भी आंध्र में वाईएसआरसीपी और कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी का साथ उनकी स्थिति को मजबूत करता है।
अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रमों पर ज्यादा भरोसा
नीतीश कुमार ने बिहार में मुस्लिम समुदाय के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं, जैसे मदरसों का आधुनिकीकरण और अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रम। इसी तरह, नायडू ने आंध्र प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के लिए स्कॉलरशिप और अन्य योजनाओं को बढ़ावा दिया है। दोनों को लगता होगा कि ये कदम उनके मुस्लिम वोट बैंक को बनाए रखने में मदद करेंगे, भले ही वक्फ बिल पर उनका रुख विवादास्पद हो। दूसरा, वक्फ बोर्ड के फैसलों से तमाम मुस्लिम ही खफा हैं। जो नुकसान के बजाय फायदेमंद होने वाला है।
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