क्या पुरुषों के बिना चल पाएगी दुनिया की अर्थव्यवस्था? : गायब होते Y क्रोमोसोम से पुरुषों के घटते अस्तित्व पर मंडराया वैश्विक खतरा

KK Sagar
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हाल ही में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पुरुषों के लिंग निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला Y क्रोमोसोम धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। पिछले 300 मिलियन वर्षों में इसने अपने मूल 1,438 जीनों में से 1,393 जीन खो दिए हैं, और अब केवल 45 जीन शेष हैं। यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो Y क्रोमोसोम अगले 1.1 करोड़ वर्षों में पूरी तरह गायब हो सकता है ।

यह जैविक परिवर्तन न केवल मानव प्रजनन प्रणाली को प्रभावित करेगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।

पुरुषों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान

वर्तमान में, पुरुष वैश्विक कार्यबल का लगभग 72% हिस्सा हैं, जबकि महिलाओं की भागीदारी लगभग 47% है। पुरुष उच्च उत्पादकता वाले क्षेत्रों जैसे मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, टेक्नोलॉजी और फाइनेंस में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, जो GDP के बड़े हिस्से में योगदान करते हैं। OECD के आंकड़ों के अनुसार, पुरुष किसी भी देश की GDP में औसतन 60-75% तक का प्रत्यक्ष योगदान करते हैं, जबकि महिलाओं का योगदान 25-40% के बीच रहता है, जो मुख्यतः हेल्थ, एजुकेशन और सोशल वर्क सेक्टर्स में केंद्रित है ।

संभावित प्रभाव

यदि भविष्य में पुरुषों की संख्या में तेज गिरावट होती है, तो अर्थव्यवस्था पर कई स्तरों पर प्रभाव पड़ेगा:

वर्कफोर्स गैप: उत्पादन और नवाचार में कमी आ सकती है।

जेंडर स्किल गैप: भारी मशीनरी, खनन, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में धीमापन आ सकता है।

फिजिकल लेबर से जुड़े सेक्टरों में ऑटोमेशन की जरूरत: नौकरियों का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है।

समाधान की दिशा में कदम

McKinsey Global Institute की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, यदि महिलाओं को समान अवसर और हिस्सेदारी दी जाए, तो 2030 तक वैश्विक GDP में 28 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा संभव है। स्वीडन, नॉर्वे जैसे देशों में महिलाओं की भागीदारी करीब 48% तक पहुंच चुकी है, और वहां पर जेंडर बेस्ड इकनॉमिक गैप कम होता दिख रहा है।

भारत में, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, पुरुषों की वर्कफोर्स पार्टिसिपेशन रेट लगभग 77% है, जबकि महिलाओं की यह दर महज 25% के आसपास है। ऐसे में, यदि Y क्रोमोसोम लुप्त हो जाता है, तो समाज को न केवल जैविक प्रजनन प्रणाली में बड़ा बदलाव लाना होगा, बल्कि आर्थिक संरचना को भी पूरी तरह से पुनर्निर्मित करना पड़ेगा।

इस चुनौतीपूर्ण भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए, जेंडर इक्विटी को बढ़ावा देना और महिलाओं को कार्यबल में समान अवसर प्रदान करना आवश्यक होगा।

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