हजारीबाग। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में प्लास्टिक उन्मूलन अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान का उद्घाटन एक विशेष कार्यशाला के माध्यम से हुआ, जिसका आयोजन जन्तु विज्ञान विभाग द्वारा किया गया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक कचरे को कम करना और छात्रों को प्लास्टिक के पुनः उपयोग के लिए प्रेरित करना है।
कार्यशाला के दौरान छात्रों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को यह संदेश दिया गया कि प्लास्टिक की बोतलों, कंटेनरों और अन्य वस्तुओं को फेंकने के बजाय दोबारा कैसे उपयोग में लाया जा सकता है।
जन्तु विज्ञान विभाग में गठित इको क्लब के संयोजक प्रो. डॉ. किशोर कुमार गुप्ता ने इस अवसर पर कहा, “छात्रों की आदतों में छोटे-छोटे बदलाव से पर्यावरण पर बड़ा असर पड़ सकता है। प्लास्टिक के पुनः उपयोग से हम पर्यावरणीय संकट को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं।”
‘रीयूज़ जोन’ की हुई शुरुआत
अभियान के तहत विश्वविद्यालय परिसर में ‘रीयूज़ जोन’ स्थापित किया गया है, जहां छात्र पुराने प्लास्टिक उत्पाद जमा कर सकते हैं। इन वस्तुओं से पेन स्टैंड, गमले, डस्टबिन जैसी उपयोगी चीजें बनाई जाएंगी। यह ज़ोन छात्रों को रचनात्मक पुनर्चक्रण (क्रिएटिव रीसायक्लिंग) के लिए प्रेरित करेगा।
कार्यशाला में छात्रों को कई रचनात्मक टास्क दिए गए, जैसे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली प्लास्टिक वस्तुओं की सूची बनाना, उनके विकल्प खोजना और उपयोग में कमी लाने के उपाय सुझाना।
अगले सत्र में माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।इस पहल को सफल बनाने में धीरज कुमार मंडल, मनत कुमार, देवयांशु कुमार, शेखर सुमन, सना, पायल, अमन राजेन्द्र, सुप्रिया सहित अन्य छात्रों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस अभियान को स्थायी रूप से लागू करने की योजना बनाई है। प्रशासन का मानना है कि यदि अन्य शैक्षणिक संस्थान भी इसी तरह की पहल करें, तो प्लास्टिक प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण संभव है।