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World book day 2025 : वरदान से कम नहीं पुस्तकें, जानिए क्या है किताबों की कहानी

डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : आज भले ही हर चीज़ डिजिटल हो ऑनलाइन का ज़माना कहने लगे हैं लोग इसे आज। ग्रोसरी, मेकअप, एजुकेशन, मूवी यहां तक कि न्यूज़, अखबार, कहानी सब कुछ ऑनलाइन है, लेकिन कुछ आदतें आज भी खास है, जो आपके लिए ज्ञान से भरपूर भी है और फायदेमंद भी जो आपकी सफलता की चाबी भी है और एक अच्छी जिंदगी जीने का सलीका भी। थोड़ा-थोड़ा तो समझ ही गए होंगे आप कि हम क्या कहना चाह रहे हैं, किताबें बिल्कुल यह हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं।

सफर का है सच्चा साथी

यह हमारा सच्चा साथी है, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है, जो हमारे अकेलेपन का भी साथी है। आपने अक्सर देखा होगा कि जब लोग अकेले होते हैं, सफर कर रहे होते हैं या किसी चीज का इंतजार कर रहे होते हैं तो वह उस समय का इस्तेमाल किताबों को पढ़ने में करते हैं। सिर्फ इसलिए नहीं कि किताबों से उनका मनोरंजन होता है, बल्कि इसलिए भी कि किताबों से उनका ज्ञान बढ़ता है, नई-नई जानकारियां मिलती है जो जीवन में अक्सर काम आया करती है। यह समय का सही इस्तेमाल करना भी कहलाता है। क्योंकि ज्ञान कभी बेकार नहीं जाता और किताबें हमेशा ज्ञान देती है। कुछ ना कुछ सिखाती है।

बार्सिलोना में मना था पहला विश्व पुस्तक दिवस

लोगों को किताबों का महत्व समझाने के लिए हर साल विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। यूनेस्को ने 23 अप्रैल के दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। इसकी शुरुआत सर्वेंट्स पब्लिशिंग हाउस के निर्देशन विसेंट क्लेवेल द्वारा सन् 1922 में की थी। मिगुएल डे सर्वेंट्स को सम्मानित करने के उद्देश्य से उन्होंने इस दिन को सेलिब्रेट करने की शुरुआत की थी। 1926 में बार्सिलोना में पहला विश्व पुस्तक दिवस मनाया गया था।

ऑनलाइन के ज़माने में भी किताबों का कोई जवाब नहीं

किताबें पढ़ने की आदत हमारे अंदर एक नई ऊर्जा भर देती है। हमारी सोच को भी एक नई दिशा देती है। इसलिए तो अक्सर किसी सफल इंसान महापुरुषों, उच्च अधिकारी रोज़ाना अपना थोड़ा समय किताबों को जरूर देते हैं। क्योंकि जो ज्ञान आपको किताबें दे सकती है। वह कहीं भी नहीं मिल सकती। दुनिया में जितने भी सफल और महान लोग देखे गए हैं, सबके अंदर एक सामान्य आदत देखने को मिलती है, वह है किताबें पढ़ना। ऑनलाइन का चाहे कितना भी बोलबाला हो जाए, लेकिन किताबें पढ़ने का कोई जवाब नहीं हो सकता। क्योंकि इसके फायदे अनगिनत है। रोज़ाना किताब पढ़ने से नए-नए शब्द, नई-नई जानकारियां, नई बातों का पता चलता है। यहां तक कि तनाव भी दूर होता है। एक सच तो यह भी है कि नौकरी, व्यवसाय, धन यह सब कुछ हमसे कोई छीन सकता है, लेकिन हमारा ज्ञान, हमारी जानकारी, हमारी बुद्धि हमसे कोई छीन नहीं सकता।

किताबों ने संवारी ज़िंदगी

सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब हम जिंदगी में कभी हार जाते हैं, मुश्किलों से परेशानियों से घबरा जाते हैं, तब यह किताबें हमारा साथी बनकर हमें राह भी दिखा जाती है। कई महापुरुषों की आत्मकथाएं हमें जीवन जीने की प्रेरणा देती है। परेशानियों से निकलने का मार्ग प्रशस्त करती है। आप खुद अपने जीवन को भी देखिएगा ना किताबों ने हमारा कितना साथ दिया। आज किताबों ने ही तो हमारी जिंदगी संवारी है, तब तो आज कोई डॉक्टर है, कोई इंजीनियर है, कोई वैज्ञानिक है, कोई बैंकर तो कोई टीचर है। यानी किताबों से हमने शिक्षा ली, सफल हुए और आज इस मुकाम पर पहुंचे कि अच्छी नौकरी पाकर अपना अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं। तो है ना किताबें हमारी अच्छी दोस्त। तो इसे बनाएं अपना साथी और जीवन के हर कदम पर बनिए सफल।

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