बिहार वोटर लिस्ट में 65 लाख नाम कटे, सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयोग को अल्टीमेटम : हटाए गए वोटरों का डेटा सार्वजनिक करने का आदेश

KK Sagar
3 Min Read

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत वोटर लिस्ट से 65 लाख नाम हटाए जाने के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। अदालत ने चुनाव आयोग से सवाल किया कि इतने बड़े पैमाने पर हटाए गए वोटरों का डेटा अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि इन नामों को वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए ताकि लोग सच्चाई जान सकें।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियाँ

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बागची की पीठ ने कहा कि नागरिकों के अधिकार राजनीतिक दलों या उनके कार्यकर्ताओं पर निर्भर नहीं होने चाहिए। जस्टिस कांत ने उदाहरण देते हुए कहा, “पूनम देवी के परिवार को यह पता होना चाहिए कि उनका नाम इसलिए हटाया गया है क्योंकि उनकी मृत्यु हो चुकी है।”
अदालत ने कहा कि ड्राफ्ट रोल में मृत या जीवित लोगों के नामों को लेकर गंभीर विवाद है, और इसके समाधान के लिए एक पारदर्शी व्यवस्था जरूरी है।

चुनाव आयोग का जवाब

चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने अदालत को बताया कि आयोग 65 लाख हटाए गए वोटरों का डेटा विधानसभा और जिला स्तर पर वेबसाइट पर डाल देगा। इसमें मतदाता का नाम, ईपीआईसी नंबर, हटाने का कारण और आधार या अन्य दस्तावेज का विवरण भी शामिल किया जाएगा। आयोग ने कहा कि मृतकों की पहचान के लिए अधिकारी और स्वयंसेवक घर-घर जाकर जांच करेंगे।

2003 कटऑफ और कानूनी बहस

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील निजाम पाशा ने 1 जनवरी 2003 की कटऑफ तारीख को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि यदि यह तारीख हटती है तो पूरी प्रक्रिया प्रभावित होगी।
चुनाव आयोग ने अपने पक्ष में कहा कि अनुच्छेद 324, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(2) और 21(3) के तहत उसे विशेष गहन पुनरीक्षण का अधिकार है, और 2003 को कटऑफ मानना नियमों के तहत संभव है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और समयसीमा

अदालत ने आयोग से पूछा कि यह जानकारी कब तक सार्वजनिक की जा सकती है। जस्टिस बागची ने सुझाव दिया कि इसे 48 घंटे के भीतर वेबसाइट पर डाल दिया जाए। आयोग ने समयसीमा पर सहमति जताते हुए कहा कि वह प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के अनुसार यह डेटा उपलब्ध करा देगा।

विवाद और विपक्ष का आरोप

ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को प्रकाशित की गई थी और अंतिम सूची 30 सितंबर को जारी होनी है। विपक्ष का आरोप है कि SIR प्रक्रिया के जरिए लाखों लोगों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है। विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार हंगामा कर रहा है और पारदर्शिता की मांग कर रहा है।

आंकड़े

बिहार में कुल वोटर (1 जनवरी 2025 तक): 7.89 करोड़

फॉर्म भरे गए वोटर: 7.24 करोड़

हटाए गए वोटर: 65 लाख

इनमें मृत घोषित: 22 लाख

Share This Article
उत्कृष्ट, निष्पक्ष, पारदर्शिता और ईमानदारी - पत्रकारिता की पहचान है k k sagar....✍️....