आज श्रावण मास का चौथा और अंतिम सोमवार है, जिसे शिवभक्तों के लिए अत्यंत फलदायी और संकल्प पूर्ति का दिन माना गया है। पूरा सावन महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन चौथा सोमवार खास महत्व रखता है क्योंकि इस दिन व्रत करने और शिव-पार्वती की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
🔱 अंतिम सोमवार का महत्व
शास्त्रों में वर्णित है कि सावन मास भगवान शिव की आराधना का सर्वोत्तम समय होता है। इस महीने के प्रत्येक सोमवार को उपवास और पूजन करने का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है, लेकिन अंतिम सोमवार को “व्रत समापन एवं संकल्प पूर्ति” का दिन माना गया है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव साक्षात अपने भक्तों के समीप होते हैं और उनके द्वारा की गई पूजा, जाप, और अभिषेक से तुरंत प्रसन्न होते हैं। इस दिन किया गया व्रत पापों के नाश, दुखों से मुक्ति, और मोक्ष प्राप्ति तक का मार्ग प्रशस्त करता है।
🌟 बन रहे हैं 5 शुभ योग: विशेष संयोग में शिव पूजा
आज सावन के अंतिम सोमवार को पंचांग अनुसार पांच अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी अधिक प्रभावशाली बना रहे हैं:
- सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 5:44 से रात 9:12 तक
👉 हर प्रकार के कार्यों की सफलता के लिए अत्यंत शुभ - रवि योग – सफलता व मनोकामना पूर्ति में सहायक
- गजकेसरी योग – राजयोग समान फलदायी, यश और समृद्धि देता है
- ब्रह्म योग – श्रेष्ठ विचार, निर्णय और आध्यात्मिक उन्नति के लिए
- इंद्र योग – आत्मविश्वास और सफलता का प्रतीक
⏰ समय: सुबह 7:06 से 7:25 तक
चंद्रमा वृश्चिक राशि में अनुराधा और चित्रा नक्षत्र में गोचर करेगा, जिससे पूजा और भी फलदायी मानी गई है।
🕒 महत्त्वपूर्ण मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:20 से 5:02 बजे तक (पूजा व ध्यान के लिए श्रेष्ठ)
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 2:42 से 3:36 बजे तक
अमृत काल: शाम 5:47 से 7:34 बजे तक
प्रदोष काल: शाम 7:00 बजे के आसपास से (विशेष शिव पूजन समय)
🛕 पूजा विधि और व्रत प्रक्रिया – चरण दर चरण
- प्रातःकाल तैयारी
ब्रह्ममुहूर्त में उठें
स्नान करें और स्वच्छ सफेद या पीले वस्त्र धारण करें
मन में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए व्रत और पूजन का संकल्प लें
- शिवालय या घर पर पूजा
शिवलिंग पर जल और गंगाजल से अभिषेक करें
फिर क्रमशः दूध, दही, शहद, घी, शक्कर से रुद्राभिषेक करें
11 या 21 बेलपत्र, धतूरा, आक, शमी पत्र अर्पित करें
काले तिल, अक्षत (चावल), चंदन, भस्म, कपूर, दीप, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित करें
पूजा के दौरान ॐ नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें
- मंत्र जाप और स्तोत्र पाठ
रुद्राक्ष की माला से 108 बार महामृत्युंजय मंत्र या पंचाक्षर मंत्र (ॐ नमः शिवाय) का जाप करें
शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें
शिव परिवार (माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी) को भी नमस्कार करें
- आरती और भोग
दीपक व धूप जलाकर शिवजी की आरती करें
फल, मिठाई, पंचामृत या घर का बना नैवेद्य अर्पित करें
प्रसाद वितरण करें
- प्रदोष काल में पुनः पूजन करें
संध्या समय प्रदोष काल में फिर से शिवालय जाएं या घर में पूजा करें
दिनभर व्रत रखें और संकल्प के अनुसार शाम को फलाहार करें
📿 महामृत्युंजय मंत्र
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
✨ क्या मिलता है इस दिन पूजन से?
मनोकामना पूर्ति
ग्रह दोषों से मुक्ति (विशेषकर राहु-शनि-केतु के प्रभाव से)
मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति
विवाह, संतान और नौकरी संबंधित बाधाओं का निवारण
मोक्ष प्राप्ति की दिशा में प्रगति