बिहार में चुनाव आयोग की ओर से कराए गए एसआईआर के बाद जारी ड्राफ्ट मतदाता सूची को लेकर बवाल जारी है। इस बीच चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। चुनाव आयोग ने बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची का नया फॉर्मेट अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। पहले डिजिटल मशीन-रीडेबल फाइल की जगह अब इमेज स्कैन कॉपी अपलोड की गई है, जो सर्च करने में मुश्किल और साइज में 5 गुना बड़ी है।

सर्च करना लगभग असंभव हुआ
चुनाव आयोग ने शनिवार को बिहार में डिजिटल ड्राफ्ट मतदाता सूचियों की जगह अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर मतदाता सूचियों की स्कैन की हुई तस्वीरें जारी कर दी हैं। 1 अगस्त को यह फाइल टेक्स्ट-बेस्ड पीडीएफ फॉर्मेट में उपलब्ध थी, लेकिन अब यह इमेज-बेस्ड पीडीएफ में बदल गई है। यानी पूरी फाइल स्कैन की हुई इमेज के रूप में है। इस बदलाव के चलते मतदाता सूची में किसी नाम या अन्य जानकारी को कीवर्ड के सहारे खोजना अब लगभग असंभव हो गया है। पहले टेक्स्ट-बेस्ड फाइल में सर्च फंक्शन का इस्तेमाल करके आसानी से कोई भी नाम या डिटेल ढूंढ़ी जा सकती थी, लेकिन नई इमेज-बेस्ड फाइल में यह सुविधा समाप्त हो गई है।
फाइल का साइज भी बढ़ा
फॉर्मेट बदलने के साथ-साथ फाइल का साइज भी काफी बढ़ गया है। ये फाइलें आकार में बड़ी होती हैं, इनका रिज़ॉल्यूशन कम होता है, और डेटा निकालने में काफी समय लगता है और इनमें त्रुटियां होने की भी संभावना रहती है।
राहुल गांधी के आरोपों के बाद बदलाव
चुनाव आयोग ने ये बदलाव कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद किया है। बता दें कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने डिजिटल मतदाता सूची देने से इनकार कर दिया है क्योंकि इससे संदिग्ध और नकली मतदाताओं का पर्दाफाश हो सकता है जो कथित तौर पर भारतीय जनता पार्टी को चुनाव जीतने में मदद करते हैं।
लिस्ट से 65 लाख से ज़्यादा मतदाताओं के नाम कटे
बता दें कि बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को चुनाव आोग के विशेष गहन पुनरीक्षण के पहले चरण को पूरा करने के बाद जारी की गई थी। इसमें 65 लाख से ज़्यादा मतदाताओं के नाम हटा दिए गए। कहा गया कि ये मतदाता या तो मर चुके हैं, या पहले ही नामांकित हो चुके हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं।