बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान और ‘वोट चोरी’ जैसे आरोपों को लेकर चुनाव आयोग और विपक्ष आमने-सामने हैं। कांग्रेस समेत INDIA गठबंधन के दलों ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इसी बीच खबर है कि विपक्षी दल मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहे हैं।
संसद में बड़ी बैठक
सूत्रों के मुताबिक, सोमवार सुबह संसद भवन में विपक्षी दलों की एक अहम बैठक हुई। बैठक में CEC को हटाने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। विपक्ष का आरोप है कि आयोग मतदाता सूची में गड़बड़ियों को नज़रअंदाज़ कर रहा है और निष्पक्ष चुनाव कराने में नाकाम साबित हुआ है।
संविधान क्या कहता है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को स्वतंत्र संस्था का दर्जा देता है। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया भी स्पष्ट रूप से तय है।
महाभियोग की प्रक्रिया:
लोकसभा या राज्यसभा, किसी भी एक सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है।
प्रस्ताव को सदन में मौजूद और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित होना होगा।
इसके बाद प्रस्ताव दूसरे सदन में जाएगा और वहां भी दो-तिहाई बहुमत जरूरी है।
तभी राष्ट्रपति हटाने का आदेश जारी कर सकते हैं।
कितना मुश्किल है रास्ता?
संवैधानिक रूप से महाभियोग का रास्ता बेहद कठिन है। संसद के दोनों सदनों में इतने बड़े बहुमत का समर्थन जुटाना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा। मौजूदा राजनीतिक समीकरणों में यह लगभग असंभव सा दिखता है। यही वजह है कि अब तक किसी मुख्य चुनाव आयुक्त को महाभियोग के जरिए हटाया नहीं जा सका है।