डिजिटल डेस्क। कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने 1993 के बहूबाजार बम विस्फोट मामले में दोषी मोहम्मद खालिद की समय से पहले रिहाई के आदेश को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने एकल पीठ के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें खालिद को रिहा करने का आदेश दिया गया था।
खालिद 32 साल से जेल में है। कोलकाता पुलिस ने उसकी रिहाई का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि इससे समाज के लिए खतरा पैदा हो सकता है। अदालत ने पुलिस के पक्ष को स्वीकार करते हुए कहा कि ‘सजा समीक्षा बोर्ड’ ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही रिहाई का आदेश खारिज किया था और यह निर्णय उचित था।
15 मार्च 1993 को कोलकाता के बहूबाजार में हुए इस बम विस्फोट में 70 लोग मारे गए थे। इस मामले में खालिद को 2001 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अपनी बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए खालिद ने समय से पहले रिहाई की गुहार लगाई थी, जिसे एकल पीठ ने स्वीकार कर लिया था। हालांकि, राज्य सरकार और कोलकाता पुलिस ने इस फैसले को चुनौती दी थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आजीवन कारावास का मतलब आजीवन कारावास ही होता है और समय से पहले रिहाई कोई अधिकार नहीं है, बल्कि यह सरकार के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है।