आज 1 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र का नौवां और अंतिम दिन है, जिसे महानवमी कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महानवमी का दिन शक्ति साधना, हवन और कन्या पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
🕉️ महानवमी तिथि और समय
आश्विन माह की नवमी तिथि की शुरुआत 30 सितंबर शाम 6 बजकर 06 मिनट पर हो चुकी थी और इसका समापन आज 1 अक्टूबर शाम 7 बजकर 01 मिनट पर होगा। इस दौरान भक्तजन मां सिद्धिदात्री की आराधना कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।
🙏 मां सिद्धिदात्री की पूजा
मां सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों की दात्री कहा जाता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां की उपासना करने वाले साधक को आठों प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर ये आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके बाद उनका शरीर आधा देवी का हो गया और वे अर्धनारीश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुए।
🌸 कन्या पूजन और हवन का मुहूर्त
महानवमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। भक्त छोटी कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजन करते हैं और उन्हें भोजन व उपहार देकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
हवन का शुभ मुहूर्त: आज सुबह 6 बजकर 20 मिनट से 11 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इस समय हवन करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
कन्या पूजन भी इसी अवधि में करने से सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं।
📖 धार्मिक महत्व और कथा
माना जाता है कि जब महिषासुर के अत्याचारों से देवता परेशान हुए तो उन्होंने भगवान शिव और भगवान विष्णु से सहायता मांगी। देवताओं के तेज से मां सिद्धिदात्री का प्राकट्य हुआ और उन्होंने महिषासुर का वध कर देवताओं को भयमुक्त किया।
मां का यह स्वरूप महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी प्रसिद्ध है।
✨ विशेष मान्यता
मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और सकारात्मकता आती है।
भक्त व्रत कथा का पाठ करते हैं तो घर-परिवार में समृद्धि और मंगल का वास होता है।
मां के आशीर्वाद से साधक को आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं।