बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें सामने आ चुकी हैं, लेकिन दोनों प्रमुख गठबंधन एनडीए और महागठबंधन में अब तक सीट बंटवारा नहीं हो पाया है। बैठकों के ताबड़तोड़ दौर के बावजूद, सीट शेयरिंग की गुत्थी उलझी हुई है। महागठबंधन में जहां छोटे सहयोगी दल उपमुख्यमंत्री पद और ज्यादा सीटों की मांग पर अड़े हैं, वहीं एनडीए में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की सीटों की संख्या और शर्तें मामले को अटका रही हैं। इस बीच पटना में एनडीए में शामिल सभी दलों की बड़ी बैठक रखी गई है। इस बैठक में बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी-आर और बाकी दलों के शीर्ष नेता भी इसमें शामिल होंगे। ऐसे में आज कोई फैसला होने की उम्मीद की जा रही है।

एनडीए के भीतर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जद(यू) और भाजपा के बीच करीब 100-100 सीटों पर सहमति बनती दिख रही है, लेकिन चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) और जीतन राम मांझी की ‘हम’ जैसी छोटी सहयोगी पार्टियों की ऊंची मांगों ने पेच फंसा रखा है। मांझी 20 सीटों की मांग पर अड़े हैं, जबकि चिराग पासवान भी सीटों के साथ राज्यसभा और विधान परिषद की मांग कर रहे हैं।
क्या चाह रहे चिराग?
केंद्रीय चिराग पासवान की पार्टी को 28, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को आठ और उपेंद्र कुशवाह की पार्टी को करीब पांच सीटें भाजपा और जदयू देना चाहती है। लेकिन, चिराग 40 से कम सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान ने बीजेपी की कुछ सीटिंग सीटों पर दावा किया है। इसके चलते सीट शेयरिंग का पेंच फंसा है।
मांझी की है अपनी मांग
वहीं जीतन राम मांझी का तर्क है कि राज्य स्तर की पार्टी बनने के लिए आठ विधायक चाहिए। हमारे पास पहले से चार विधायक हैं। ऐसे में 10 से 12 सीटों से कम पर चुनाव हमलोग नहीं लड़ कसते हैं।
उपेंद्र कुशवाहा 15 सीटों की कर रहे डिमांड
उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए के साथ हैं, ऐसे में उनकी भी अपनी आकांक्षाएं हैं। वो 15 सीटों की डिमांड कर रहे हैं। वहीं, उनको 7 सीटें देने की बात कही जा रही है। उपेंद्र कुशवाहा के कार्यकर्ता करीब दर्जन भर सीटों पर सक्रिय हैं और उनके उम्मीदवार चुनाव में उतर सकते हैं।