दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले में आरोपी और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। शरजील ने चुनाव लड़ने के लिए कड़कड़डुमा कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अंतरिम जमानत मांगी है। याचिका में कहा गया है कि शरजील इमाम बिहार की बहादुरगंज विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना चाहते हैं।

शरजील इमाम दिल्ली दंगों के मामले में 2020 से जेल में है। यह गिरफ्तारी दिल्ली में सीएए से जुड़े विरोध प्रदर्शन के बाद हुई थी। शरजील इमाम ने दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने अदालत से 14 दिनों की अंतरिम जमानत देने की अपील की है ताकि वह अपने चुनाव प्रचार और नामांकन प्रक्रिया में भाग ले सकें।
बहादुरगंज विधानसभा सीट निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे- शरजील
इमाम ने कोर्ट को यह भी बताया कि वह किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हुए नहीं हैं। शरजील इमाम इस चुनाव में बहादुरगंज विधानसभा सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में भाग लेने वाले हैं। उनके वकील का कहना है कि शरजील पिछले 5 साल और 2 महीने से लगातार जेल में हैं और अब तक उन्हें किसी भी परिस्थिति में जमानत नहीं मिली है। कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि शरजील इमाम एक पॉलिटिकल कैदी और स्टूडेंट एक्टिविस्ट हैं। वह अपने गृह राज्य बिहार से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
शरजील की याचिका पर कोर्ट करेगी सुनवाई
शरजील इमाम की इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होने की संभावना है। अदालत इस बात पर विचार करेगी कि क्या उन्हें चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने के लिए अस्थायी राहत दी जा सकती है या नहीं। इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 सितंबर को इमाम, खालिद और मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, अतर खान, शिफा-उर-रहमान, मोहम्मद सलीम खान, शादाब अहमद और खालिद सैफी समेत 7 अन्य आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
2020 से जेल में बंद
बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में भड़के 2020 के दिल्ली दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे। दिल्ली पुलिस का आरोप था कि यह हिंसा एक पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसे सीएए के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन के दौरान अंजाम दिया गया था। इस मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम को 28 जनवरी, 2020 को बिहार के जहानाबाद से जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह तब से हिरासत में है और बाद में दंगों में उसकी कथित भूमिका के लिए यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।

